
गीत : “भूली बिसरी सभी यादों को छोड़कर, चाहता हूँ कि तुम आज में ही जियो। भाग्य ने जो दिया तुमको अमृत या बिष, रोज हंसकर जियो रोज हंसकर पियो”
गीत
नाम लिखने मिटाने से क्या फायदा,
जिंदगी से मेरी दूर जब हो गए ।
स्वप्न बस स्वप्न बनकर के हैं रह गए,
संग चलने के सब रास्ते खो गए ।।
तुम बसे धडकनों में थे कुछ इस तरह ,
स्वाॅस आती रही स्वाॅस जाती रही ।
आँखो मे चित्र तेरा बसाता रहा,
नींद पलकों को पल पल लुभाती रही ।।
हेरते हेरते वाट तेरी प्रिये दर्द ऑखो में,
बस कर सभी सो गए ।
नाम लिखने _________________
जन्म जन्मों की सब प्यास बुझ सी गई ,
तप्त अधरों को जब साथ तेरा मिला ।
मन का पंछी भी उडने को आतुर हुआ,
जब नवल चेतना को सवेरा मिला ।।
अश्रु नयनों में ले देखता रह गया और,
तुम फिर किसी गैर के हो गए ।
नाम लिखने__________________
भूली बिसरी सभी यादों को छोड़कर ,
चाहता हूँ कि तुम आज में ही जियो ।
भाग्य ने जो दिया तुमको अमृत या बिष,
रोज हंसकर जियो रोज हंसकर पिय ।।
कंटको की चुभन पग में होनी ही थी,
नागफनियों को जब पथ में तुम वो गए।
नाम लिखने___________________
रचनाकार-अबिनाश चन्द्र मिश्र चन्द्र
एडवोकेट पीलीभीत
स्वरचित
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