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गुरुद्वारा बाबा अटलराय : जहाँ से हो जाते हैं पूरे अमृतसर शहर के दर्शन

अमृतसर। आइये आज आपको अमृतसर स्थित गुरुद्वारा बाबा अटलराय जी के दर्शन कराते हैं। दरबार साहिब के पास में ही यह 9 मंजिला गुरुद्वारा स्थित है। इसकी अंतिम मंजिल से पूरे अमृतसर शहर के दर्शन हो जाते हैं। हमें भी यह सुअवसर मिला। हम सरदार श्री जरनैल सिंह जी के साथ ऊपर तक गए। उन्होंने बताया कि किस तरह सर्प दंश से मर चुके एक साथी बालक को बाबा अटलराय जी ने जिंदा कर दिया था। बात बचपन की थी। गुरु महाराज को जानकारी हुई तो वे अपने पुत्र अटल पर नाराज हुए और इसे विधि के विधान में दखल बताते हुए जीवित किये बालक के बदले प्राण देने का संकेत दिया। बाबा अटलराय जी ने अपने मित्र के बदले अपने प्राण जिस स्थान पर देकर मर्यादा कायम की वहां पर ही यह सुप्रसिद्ध गुरुद्वारा स्थापित किया गया है। अंतिम मंजिल पर बाबा अटलराय का चित्र लगा है और इतिहास लिखा है। वहां पर अटल ज्योति भी निरंतर जलती रहती है। इस गुरुद्वारा कमेटी द्वारा चाय, शर्वत, लंगर की सेवा निरंतर चलती रहती है। हम सबने 3 जून को यहां दर्शन किये। सुबह चाय, कबाब और बाद में दाल रोटी का प्रसाद छका। मुझे तो काफी अच्छा लगा यह गुरुद्वारा। बाबा अटलराय जी की कुर्वानी भी सराहनीय है। आपको यह यात्रा वृतांत कैसा लगा कमेंट में जरूर बताइये।

यह है धार्मिक मान्यता और इतिहास

गुरुद्वारा बाबा अटल स्वर्ण मंदिर के दक्षिण में स्थित है। करीब दो शताब्दी पहले बना यह गुरुद्वारा मूल रूप से गुरू हरगोविंद जी के बेटे बाबा अटल राय की समाधि है। इस गुरुद्वारा में एक 40 मीटर ऊंचा अष्टभुजीय स्तंभ है। इसमें 9 तल्ले हैं, जो बाबा अटल राय के 9 साल के संक्षिप्त जीवन को दर्शाते हैं। उनका निधन 1628 में हुआ था।

निचले तल पर प्रत्येक कार्डिनल की ओर चार दरवाजे हैं, जबकि मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है। गुरू ग्रंथ साहिब को अष्टभुजीय स्तंभ के अंतर्गत रखा गया है। गुरुद्वारा बाबा अटल 24 घंटे लंगर बंटने के कारण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह उस पुरानी कहावत को भी सही ठहराता है, जिसमें कहा गया है- ‘‘बाबा अटल पकियां पकाइयां घाल।’’ इसका अर्थ होता है- बाबा अटल पका पकाया भोजन भेजते हैं।

अपनी उत्कृष्ट वास्तुशिल्पीय बनावट के लिए चर्चित इस गुरुद्वारा को अमृतसर जाने के दौरान जरूर घूमना चाहिए।

(सतीश मिश्र संपादक, समाचार दर्शन 24 द्वारा यात्रा वृतांत)

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