करनी थी तुमको नसबंदी……

करनी थी तुमको नसबंदी लेकिन नोट बंद कर डाले।

बनवाना था प्रभु का मंदिर पर तुम खोल न पाये ताले।।

कश्मीर की धारा कायम, महबूबा से हाथ मिलाये।

स्ट्राइक सर्जीकल कर दी, दहशतगर्द नहीं भग पाये।।

पांच साल का समय मिला था घूम विदेश समूचा आये।

मन की बात सुनाते रहते जनता की क्यों ना सुन पाये।।

वादे करते रहे निरंतर, पूरा एक नहीं कर पाये।।

नींद रात की आप चुराई, सपने दिन में खूब दिखाए।

जनता भी सब गांठ बांधकर ईवीएम के बटन दबाये।

राजे, रमन, राज शिव का भी छीना पप्पू को दे आये।।

समय अभी है बदलो साहब, बेडा राम करेंगे पार।

हनुमत से माफ़ी मंगवाओ, आरक्षण पर करो विचार।।

जनसंख्या पर बंदिश लाओ, 2 से अधिक नहीं स्वीकार।

जनता को मूर्ख मत समझो, भाषण में भी करो सुधार।।

मंदिर मंदिर करना छोडो बनवा पाओ तो बनवा दो।

जो इतिहास मिटाया अपना, उसको थोडा न्याय दिला दो।।

दूनी इनकम नहीं माँगते, सिर्फ समर्थन मूल्य दिला दो।

नकली खादे, दवा बंद हो, गन्ने का भी रेट बढ़ा दो।

भ्रष्टाचार हुआ है दुगना इसपर सख्ती और करा दो।

नेताओं के बढ़ते भत्ते, इन पर थोड़ी रोक लगा दो।।

राम राज तो ला ना पाये, रिश्वतखोरी और बढ़ा दी।

महंगाई को पंख लग गए, मनरेगा में लूट मचा दी।

भ्रस्टाचार जड़ों में पनपा, नेता अफसर भाई भाई।

काला धन या रिश्वतखोरी, ऊपर से ही करो सफाई।।

चौकीदार बिठाया तुमको, वही काट डाले हो डाली।।

जागो जागो तुम्हें जगाने को “अचूक” ने कलम उठा ली।
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सतीश मिश्र “अचूक”

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