
“आपातकाल से लोकतंत्र तो बचा लिया लेकिन बिगड़ते सिस्टम को आजतक नहीं बचा सके”
लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन की ओर से रामा इंटर कॉलेज में हुई गोष्ठी
समाज में बड़े परिवर्तन के लिए बड़े आंदोलन की आवश्यकता : हरिदास
ऐसा कुछ करें, जो हमारी पीढ़ी हमें याद करे : शिव कुमार
व्यवस्था में परिवर्तन के लिए युवा शक्ति को आगे आना होगा : राजेन्द्र
प्रश्न करना और सवाल उठाना कभी मत छोड़िये : विश्वमित्र टण्डन
पीलीभीत। आपातकाल के समय में शाहजहांपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर प्रचारक रहे स्वामी गिरीश हरिदास ने कहा कि समाज में बड़े परिवर्तन के लिए बड़े आंदोलन की आवश्यकता है। उन्होंने आव्हान किया कि समाज में जो जिस जगह पर भी है, अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें, तभी समाज सुधर सकता है।
लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन की ओर से रामा इंटर कॉलेज में बुधवार को गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय “आपातकाल से लोकतंत्र तो बचा लिया लेकिन बिगड़ते सिस्टम को आजतक नहीं बचा सके” था। स्वामी हरिदास ने कहा कि बाला साहब देवरस का भी मानना था कि लोकतंत्र भारत के स्वभाव में है, उसके रक्त में है। जब-जब लोकतंत्र पर आक्रमण हुआ, भारत ने हमेशा संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास गुलामी का नहीं संघर्ष का रहा है। भारत ने हर प्रकार की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया है। स्वामी जी ने कहा कि आज सामाजिक चेतना व जागरण की आवश्यकता है। केवल यह कहने से काम नहीं चलेगा कि
सरकारी व्यवस्था, चुनाव व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था सुधर जाए। आर्थिक व्यवस्था और कर व्यवस्था में सुधार हो जाए। हम सबको मिलकर सामाजिक व्यवस्था एक आंदोलन के स्तर पर ले जाकर जाकर सुधारनी पड़ेगी। देश में समाज सुधार की एक आंदोलन की जरूरत है। लोकतंत्र के विचार से युवा पीढ़ी कैसे जुड़े, यह भी विचार करना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि अगली बार से 20 जून से लोकतंत्र सप्ताह मनाया जाए। लोकतंत्र के विचार युवा पीढ़ी को देने की जरूरत है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लखनऊ से आये आरएसएस विचारक शिव कुमार जी ने कहा कि पीलीभीत में ऐसा कुछ करें, जो हमारी पीढ़ी हमें याद करे कि हमारे पूर्वजों ने ऐसा संघर्ष किया था। एक ऐसा तानाशाह आया था, जिसने हमारी जुबानों पर ताले डाल दिए थे, जिसके लिए पूर्वजों को संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने लोकतंत्र सेनानी स्मारक बनाने, शिलापट लगाये जाने, शिलापट पर लोकतंत्र सेनानियों के नाम, उनके गांव के नाम लिखे जाने का सुझाव दिया।
मुख्य वक्ता आरएसएस विचारक राजेंद्र जी ने कहा कि जिनके ऊपर समाज के जन जागरण का दायित्व है, उनको जश्न मनाने की फुर्सत नहीं है। उन्हें अखंड सावधान रहने की जरूरत है। जो संकल्प रखने वाले लोग हैं, वह लगातार अपना काम करते हैं। उसके खिलाफ खड़े होने वाले लोग फुर्सत में ना आ जाएं, ये देखना होगा। जब भी कोई परिवर्तन लाना होगा, तो युवा शक्ति से ही शुरुआत होगी। आज से 44 साल पहले हम लोकतंत्र सेनानी जिस आयु वर्ग के थे, उसी आयु वर्ग के लोगों को आगे आना होगा और व्यवस्था परिवर्तन का प्रयास करना होगा। हम सब उनके साथ इस व्यवस्था परिवर्तन में सहभागी बनेंगे।
कार्यक्रम में किन यूनिवर्सिटी सऊदी अरब के प्रोफेसर मोहसिन रजा खान ने कहा कि सिस्टम में सुधार के लिए जरूरी है कि हर जिले में लोकतंत्र सेनानियों की कमेटियां प्रशासन के सामने मौलिक अधिकारों के हनन के मामले रखे। शहर में जो भी ऐसी गतिविधियां हैं, उनको रोका जाए। कार्यक्रम के संयोजक विश्वमित्र टंडन ने कहा कि आज हम अपने धर्म को भूल गए हैं। गलत को गलत कहने और सही को सही कहने का जज्बा नहीं है। प्रश्न करना और सवाल उठाना कभी मत छोड़िये। अगर सवाल उठाने से व्यवस्था में कोई सुधार होता है, तो हमें सवाल उठाना चाहिए।
गोष्ठी में राम इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य करुणा शंकर शुक्ला, सेवानिवृत्त आयुर्वेद अधिकारी डॉ. वीरेंद्र गंगवार, सेवानिवृत्त क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह गंगवार, डीडी गुप्ता, लोकतंत्र सेनानी संगठन के महामंत्री तौसीफ अहमद, अजय कुमार शमसा, डॉ. सुधीर मिश्रा, अरुण बाजपेई, रमेश सिंह, कैलाश गुप्ता पूरनपुर, रवि बजाज सरयू प्रसाद रस्तोगी आदि ने विचार रखे। वयोवृद्ध लोकतंत्र सेनानी दामोदर दास गुप्ता को सम्मानित किया गया। आभार लोकतंत्र सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक शमसा व संचालन विश्वमित्र टंडन ने व्यक्त किया।
साभार-निर्मलकान्त शुक्ला (वरिष्ठ पत्रकार)
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