
यहां खुद देवराज इंद्र आते हैं इकोत्तरनाथ बाबा की पूजा करने
आदि गंगा मां गोमती के पावन तट पर स्थित है यह पौराणिक शिव मंदिर
देवराज इंद्र ने श्राप मुक्ति पाने के लिए की थी यहां शिवलिंग की स्थापना
जय बम भोले जय जय शिव शंकर के उद्घोषों के साथ शिव भक्त गोमती तट पर स्थित इकहोत्तरनाथ शिव मंदिर पर नव वर्ष की मंगलमय कामना के लिये पूजा अर्चना करके मनौती मांगेंगे।
पूरनपुर (पीलीभीत): जनपद की धरती पर यूं तो कई प्राचीन और पौराणिक चमत्कारिक धर्मस्थल है जिनके प्रति श्रद्धालुओं की अत्यधिक आस्था है इन में से एक पूरनपुर तहसील क्षेत्र से 15 किलोमीटर दूर मंडनपुर के जंगल में गोमती नदी के तट पर सुप्रसिद्ध इकहोत्तरनाथ के नाम से जाना जाता है। यह एक प्राचीन और पौराणिक शिव मंदिर है। जनश्रुति के मुताबिक देवताओं के राजा इंद्र ने गौतम ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए मां आदि गंगा गोमती के किनारे पर शिवलिंगों की स्थापना की थी। इनमें से 71वी शिवलिंग यहां के शिवालय में स्थापित करने से इकहोत्तरनाथ नाम पड़ गया। मंदिर का प्राचीन और दुर्लभ शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। दूसरी सबसे बड़ी इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां प्रथम पूजा किसी मनुष्य द्वारा अब तक नहीं की जा सकी है। मंदिर के कपाट खुलते ही शिवलिंग पर स्वत: ही पूजा अर्चना की हुई मिलती है। श्रद्धालु अपनी मनौतियां पूर्ण होने पर भगवान भोले के इस चमत्कारिक एवं पौराणिक मंदिर परिसर में नल लगवाते हैं और घंटे चढ़ाते हैं। हर पूर्णमासी पर यहां पर विशाल मेला का आयोजन होता है। इस मंदिर तक मार्ग ठीक-ठाक ना होने के कारण श्रद्धालुओं को अच्छी खासी असुविधा का सामना करना पड़ता है किंतु भोले के भक्त इन सब की परवाह न करके अपने भगवान भोले से जरूर मिलने को जाते हैं। आज मंदिर पर सुबह से ही भीड़ देखी जा रही है।
रिपोर्ट- कुंवर निर्भय सिंह