
बच के रहियो, बीमार कर सकता है नकली दूध, जनपद में बढ़ रहा काला कारोबार, निरीक्षक खा पीकर मौन
विभागीय संरक्षण में फल-फूल रहा सफेद दूध का काला कारोबार
जहरीले दूध के बेलगाम कारोबार का जनस्वास्थ्य पर पड़ रहा सीधा असर
अवैध धंधे में कारोबारी ही नहीं सम्बंधित अधिकारी भी काट रहे चांदी, आला अफसरान बने मूक दर्शक
पोलीभीत। विभिन्न गंभीर बीमारियों को जन्म देने वाले जहरीले दूध का बेलगाम कारोबार खूब फल फूल रहा है। इस अवैध धंधे से जहां कारोबारी व सम्बंधित अधिकारी चांदी काटने में लगे हुये हैं वहीं जहर पीकर बीमार होने वाले आम लोगों की लम्बी चैड़ी भीड़ अस्पतालों में लुटती देखी जा सकती है। कुपोषित बच्चों की बढ़ती फौज के लिये भी जहरीले दूध के कारोबारी ही जिम्मेदार हैं।
जनपद पीलीभीत के उपनगर पूरनपुर, बीसलपुर सहित समूचे देहात क्षेत्र में सफेद दूध के नाम पर काला कारोबार करने वाले दूध माफिया सक्रिय हैं।
नकली दूध से इन बीमारियों की मिल रही सौगात
सिंथेटिक जहरीले क्रीम रहित कैमिकल युक्त, कृत्रिम दूध ने दूध की गुणवत्ता समाप्त कर दी है जिसका सीधा असर जनस्वास्थ्य पर पड़ रहा है। लीवर एवं किडनी फेल होने जैसी जानलेवा बीमारियों के साथ ही कुपोषित बच्चों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। दूध में यूरिया मिलाये जाने के दुष्परिणाम खून की उल्टी, बीपी, शुगर व लकवा जैसी बीमारियों से भी लोग ग्रसित हो रहे हैं। इसका अंदाजा क्षेत्र में बढ़ने वाली उक्त बीमारियों से सहज ही लगाया जा सकता है। इस धंधे में सम्बंधित अधिकारियों, कर्मचारियों से सांठ-गांठ के चलते गाय भैंस पालने वालों से लेकर दूधिये व ठेकेदार सभी दूध की गुणवत्ता से खिलवाड़ कर अपनी आर्थिक गुणवत्ता बढ़ाने में लगे हुये हैं। लेकिन शासन प्रशासन के लोग इस जनविरोधी राष्ट्रविरोधी धंधे को रोक पाने में असहज प्रतीत हो रहा है।
स्वास्थ्य के लिए घातक है नकली दूध
बताया जाता है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा कृत्रिम एवं मिलावटी दूध के कारोबार के कराये गये सर्वे में करीब 70 फीसदी दूध निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया था। सिंथेटिक और मिलावटी दूध तथा दूध के उत्पाद यूरिया, डिटरजेंट, रिफाइंड आयल, कास्टिक सोडा और सफेद पेंट आदि से तैयार हो रहे हैं। यहां पर बताने की जरूरत नहीं है कि यह मानव जीवन के लिये कितने घातक हैं क्योंकि इनसे कैंसर जैसी घातक बीमारियां तक हो रही हैं।
जानिए कैसे बनता है नकली दूध
नकली दूध को पानी में मिल्क पावडर, पेंट आदि मिलाकर बनाया जा रहा है। चिकनाई के लिये रिफाइण्ड आयल, शैम्पू आदि व झाग के लिए बाशिंग पावडर व सफेद रंग के लिये सफेदा मिलाया जा रहा है तथा दूध में मीठापन लाने के लिये ग्लूकोज आदि की मिलावट की जा रही है। लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है और दूध माफिया जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हुए रातोंरात अमीर हो रहे हैं।
कारोबारियों से महीना ले रहे अफसर, इसीलिए एक्शन नहीं
चर्चा है कि दूध कारोबारियों से सम्बंधित अधिकारी द्वारा एकमुश्त रकम की मासिक वसूली की जाती है। यही कारण है कि जहरीले दूध का काला कारोबार बेखौफ होकर खूब फल फूल रहा है। यही नहीं नगर में बिकने वाली मिठाईयां भी किसी जहर से कम नहीं हैं लेकिन अफसोस अवैध कारोबारी जाग जाग धंधा चमका कर चांदी काट रहे हैं परन्तु हमारे आला अफसर सो रहे हैं।
दूधियों से खरीदकर नकली दूध मशीन से बेंच रहे डेयरी संचालक, कोई नही करता शक
आपको डेयरी वालों की वे चमचमाती गाड़ियां भी सड़क पर दौड़ती नजर आती होंगी जिनमें मशीनों से दूध प्रीपेड कार्ड के जरिए बेचा जाता है। गाड़ियों पर लगे टैंकर में यह दूध भरा होता है। आप इसे शुद्ध समझ कर आसानी से खरीद लेते हैं, पर शायद आपको यह नहीं पता होगा कि डेरी वाले भी दूधियों से दूध खरीद कर टैंकर में मिक्स कर देते हैं और इस तरह से नकली दूध आपके घर तक आसानी से पहुंच जाता है और आप उस पर कोई शक भी नहीं करते। अब अगर आप मशीन से भी दूध ले रहे हैं तो उसकी मात्रा की भी जांच करें और शुद्धता तो जरूर चेक करें। हालांकि या काम खाद्य विभाग के निरीक्षकों का है परंतु उन्होंने डेयरी संचालकों के सामने शायद घुटने टेक दिए हैं इसलिए यह सच्चाई सामने नहीं आ पा रही है। बतौर उपभोक्ता आप सब कुछ चेक करने का हक रखते हैं। पेट्रोल पंप की भांति दूध की मशीन भी घटतौली में लिप्त हो सकती है। जागो ग्राहक जागो और आज ही जांचों दूध की मात्रा और शुद्धता। ताकि आपको पूरा और शुद्ध दूध मिल सके।
रिपोर्ट- शादाब अली
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