राजनीति : सत्ताधीशों को हर पल औकात दिखाता रहा 2018
सत्ताधीशों को 365 दिन औकात दिखाता रहा 2018
पीलीभीत : वर्ष 2018 सत्ताधीशों के लिए कोई खास नहीं रहा। जो जनप्रतिनिधि विपक्ष में थे वे तो खुद को विपक्ष का महसूस ही कर रहे थे पर जो सत्ताधारी पार्टी में थे उन्हें यह साल निरंतर औकात दिखाता रहा। खुलकर कहे तो सत्ताधारी पार्टी के लोगों की भी कोई खास नहीं चल पाई।
भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में सुचिता के नाम पर कार्यकर्ता तो हताश निराश रहे ही जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि भी कोई खास रुतवा नहीं कायम कर सके। अगर किसी विधायक ने किसी अधिकारी या भ्रष्टाचारी से कुछ कह दिया तो इस तरह ऑडियो वीडियो वायरल होते रहे जैसे कोई जनता का आम आदमी हो। साल के शुरुआत में जिले के नेता तत्कालीन जिलाधिकारी शीतल वर्मा को हटवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे परंतु वे तस से मस नहीं हुईं। जब मार्च में उनकी मर्जी हुई तभी उन्होंने पीलीभीत छोड़ा।जिलाधिकारी डॉ अखिलेश कुमार मिश्रा के आने के बाद जनप्रतिनिधियों ने कुछ फील गुड किया परंतु जनता के काम कराने में जनप्रतिनिधियों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ा। कई ऐसे मौके भी आए जब पुलिस प्रशासन ने जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी। पूरनपुर में तो एक दरोगा ने विधायक के प्रतिनिधि से ही रिपोर्ट लगाने के नाम पर घूस मांग ली। अधिकारी विधायक की बात को अनसुनी करते रहे। जहां दूसरे जनप्रतिनिधि दिल मसोस कर यह सब कुछ पुरे साल बर्दाश्त करते रहे वहीं बीसलपुर विधायक रामसरन वर्मा खुलकर सामने आ गए और उन्होंने जिलाधिकारी पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए। गोमती पर हुए कामों में भी घपलेबाजी के आरोप खुलकर लगे परंतु सब कुछ यूं भी चलता रहा। पहले गेहू और फिर धान की फसल का समर्थन मूल्य जनप्रतिनिधि किसानों को नहीं दिलवा सके वहीं अब एक एक पर्ची पाने को भटक रहे किसानों की मदद जनप्रतिनिधि नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थिति को कोई मोदी तो कोई योगीराज करार देकर संतोष कर रहा है। नए साल में हालात बदलेंगे या यूँ ही चलता रहेगा यह कहना मुश्किल है।
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