
‘प्रियंका हम शर्मिंदा हैं’-सुनिये संजीव मिश्र ‘शशि” का सुंदर गीत “मां काहे मैं हुई बड़ी”
‘प्रियंका हम शर्मिंदा हैं’
क्या हम सभ्य समाज में जी रहे हैं?
क्या हमने अपने बेटों को मातृशक्ति का सम्मान करने के संस्कार दिये हैं ?
यदि हाँ, तो बेटियों के साथ होने वाली ये घटनायें क्यों नहीं रुकतीं ?
जब ये गीत लिखा था तब यही सोचा था कि ये अंतिम घटना हो और मुझे दोवारा इसे दोहराना न पड़े । लेकिन सिलसिला रुकता ही नहीं –
“मां काहे मैं हुई बड़ी ।।
गली सड़क बाजारों में भी,
अब लगता है डर ।
तू भी तो व्याकुल रहती है,
कब लौटूंगी घर ।
आशंकित आंखें द्वारे पर,
हर पल रहें गड़ी ।
मां काहे मैं हुई बड़ी ।।
नुक्कड़ पर चौराहों पर हैं,
मुश्किल शब्द सहे ।
भूखी आंखों से वह मेरे,
तन को नाप रहे ।
नारी हूं या वस्तु सरीखी,
सोचूं खड़ी खड़ी ।
मां काहे मैं हुई बड़ी ।।
ये समाज या कोई जंगल,
मां तू ही बतला ।
लाज हुई शीशे के जैसी,
कैसे दूं झुठला ।
टूट नहीं जाये ये शीशा,
दुविधा घड़ी घड़ी ।
मां काहे मैं हुई बड़ी ।।”
रचनाकार – संजीव मिश्र ‘शशि’
पीलीभीत
मो. 08755760194
#priyankareddy
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