
पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने लोकसभा में पेश किया एमएसपी गारंटी बिल, एमएसपी न मिलने पर किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान, 22 फसलें दायरे में आएंगी
एमएसपी पर सांसद वरुण गांधी ने संसद में पेश किया निजी बिल
-ट्वीट करके दी जानकारी, बताये फायदे
-वरुण बोले-एमएसपी न मिलने से ही बर्बाद हो रहे देश के अन्नदाता
पीलीभीत। एमएसपी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पिछले काफी समय से सरकार और किसान संगठनों के बीच जंग छिड़ी हुई है। सरकार ने एमएसपी कानून लागू कराने के लिए एक कमेटी बनाने का आश्वासन देकर फिलहाल किसानों का आंदोलन समाप्त करा दिया है परंतु इसके पहले ही पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक निजी बिल तैयार करके इसे लोकसभा में सबमिट कर दिया है। सांसद श्री गांधी ने ट्यूट के जरिए इस बात की जानकारी देते हुए इस बिल के फायदे भी बताए हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल के पारित होने से देश के किसानों को काफी लाभ होगा। इस बिल का किसानों ने स्वागत किया है एवं सांसदों से इसके पक्ष में मतदान की अपील की है।
यह है सांसद वरुण गांधी द्वारा प्रस्तुत बिल का नाम
सांसद वरुण गांधी द्वारा संसद में प्रस्तुत इस बिल का नाम “द फार्मर्स राइट टू गारंटेड मिनिमम सपोर्ट प्राइज रिलाइजेशन आफ एग्री प्रोड्यूस बिल 2021” दिया गया है। जिस दिन सांसद विपिन रावत का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ उसी दिन सांसद श्री गांधी ने यह बिल लोकसभा में पेश किया था परंतु दुख की घड़ी में उन्होंने इसे ट्वीट नहीं किया। आज बिल का प्रारूप ट्यूट कर के उन्होंने इसकी जानकारी दी है। देखिये सांसद का ट्वीट-
https://twitter.com/varungandhi80/status/1469889639817179136?s=21
एमएसपी बिल में खास
-कुल 22 फसलों के लिए होगा न्यूनतम समर्थन मूल्य
-30 दिन में होगा किसानों की समस्याओं का निस्तारण
-समर्थन मूल्य पर फसल न बिकने पर सरकार को 7 दिन में किसान को देना होगा मुआवजा
-न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बिकने के 2 दिन के अंदर बैंक खाते में भेजना होगा दाम
जानिये विधेयक की खास बातें
सांसद वरुण गांधी के अनुसार इस विधेयक में 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटीशुदा खरीद की परिकल्पना की गई है। ये फसलें देश में एक लाख करोड़ के वार्षिक वित्तीय परिव्यय के साथ भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। फसलों की यह सूची कृषि उत्पादों को जरूरत के आधार पर शामिल करने के लिए खुला रहेगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसद लाभांश के आधार पर निर्धारित किया गया है। यह मूल्य स्वामीनाथन समिति (2006) द्वारा अनुशंसित फसल तैयार करने के लिए किए गए वास्तविक खर्च, अवैतनिक पारिवारिक श्रम के बराबर मूल्य तथा कृषि भूमि और कृषि से जुड़े अन्य साजो-सामान के छोड़े गए किराए की परिगणना पर आधारित है। विधेयक में इस बात की व्यवस्था होगी कि एमएसपी से कम कीमत हासिल करने वाला कोई भी किसान प्राप्त मूल्य और गारंटीशुदा एमएसपी के बीच मूल्य के अंतर के बराबर मुआवजे का हकदार है। एमएसपी की गारंटी देने वाला यह विधेयक गुणवत्ता मानकों के आधार पर विभिन्न फसलों के वर्गीकरण का प्रावधान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यदि फसल पूर्व-निर्धारित गुणवत्ता को पूरा नहीं करती है तो किसानों को संकटपूर्ण बिक्री की नौबत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, फसल भंडारण के बदले कृषि ऋण का प्रावधान अगले फसल कटाई के मौसम के लिए कार्यशील पूंजी और संकटपूर्ण बिक्री के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त तौर पर रहेगा।
किसानों को समय पर भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए एमएसपी प्राप्त करने की गारंटी दी जाएगी। लेनदेन की तारीख से दो दिनों में खरीदार द्वारा फसल बेचने वाले किसानों को यह रकम सीधे बैंक खाते में जमा कराना होगा। अगर किसी कारण से एमएसपी का मूल्य किसानों को नहीं मिलता है तो सरकार को बिक्री मूल्य और एमएसपी के बीच के मूल्य अंतर का भुगतान इस मामले की सूचना मिलने के एक हफ्ते के भीतर करना होगा।
यह विधेयक फसलों की विविधता को प्रोत्साहित और खेती के लिए प्रत्येक प्रखंड के लिए सबसे उपयुक्तफसल की सिफारिश करता है ताकि इससे कृषि के लिए पर्यावरणीय लागत कम हो, खासतौर पर भूजल के मामले में। जाहिर तौर पर इससे दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता के लिए उपयुक्त फसल पैटर्न को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
किसानों के लिए से उपज की कीमत की घोषणा फसली मौसम शुरू होने के दो महीने पहले होनी चाहिए ताकि वे अपने बुवाई की योजना अग्रिम तौर पर बना सकें।
इस प्रस्तावित कानून को लागू कराने के लिए कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय में अलग से एक विभाग बनाया जाएगा। यह विभाग अलग निर्णय लेने वाली एक संस्था के तौर पर होगी, जिसमें किसान प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और कृषि नीति के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।
यह विधेयक प्रत्येक पांच गांव पर एक अच्छी तरह से व्यवस्थित खरीद केंद्र स्थापित करने और आपूर्ति शृंखला के बुनियादी ढांचे (गोदाम, कोल्ड स्टोरेज आदि) के निर्माण का प्रस्ताव करता है ताकि किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज को निर्बाध रूप से स्टोर करने और उन्हें बेचने में सहूलियत हो।
शिकायत दर्ज होने के 30 दिनों के भीतर विवाद समाधान का प्रावधान होगा, जिसमें असंतुष्ट पक्ष के पास न्यायिक व्यवस्था तक पहुंच का अधिकार सुरक्षित रहेगा।