
बाघ की लोकेशन लेने महुआ पहुंची वन विभाग की टीम, एक दिन पहले युवक पर बाघ ने किया था हमला
गजरौला- टाइगर रिजर्व बनने के बाद से मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं जिले में निरंतर बढ़ती जा रही है । सरकार अभी तक मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने में असफल रही है। वन विभाग संसाधनों की कमी का रोना रो रहा है तो वहीं प्रशासन बजट का अभाव कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देता है । वन्यजीव संघर्ष में जिले में अब तक कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं वही कई वन्यजीवों के मरने की घटनाएं आम होती जा रही। मालारेंज के जंगल से सटे ग्राम महुआ के 25 वर्षीय युवक लीलाधर बुधवार को शाम करीब 7 बजे बिठौरा कला बाजार से खरीदारी कर साइकिल से वापस घर लौट रहा था। अचानक गन्ने के खेत में घात लगाए बैठे बाघ ने अजीतपुर पटपरा और महुआ के बीच पीपल के पेड़ के
पास हमला कर दिया। जिसमें युवक बुरी तरह घायल हो गया था। ग्रामीणों के शोर शराबा करने पर बाघ खेतों में भाग गया। घायल युवक को 108 एंबुलेंस से जिला चिकित्सालय भिजवाया गया। जहां पर उसका उपचार चल रहा है। सुबह होते ही माला रेंज के रेंजर राम जी वन विभाग की पूरी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। घटनास्थल पर जाकर बाघ की लोकेशन ट्रैस की। खेतों की मिट्टी सख्त होने से बाघ के पदचिन्ह तो नहीं मिल सके लेकिन बाघ होने के कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल ग्रामीणों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई और ग्रुप में निकलने की सलाह दी गई। वही माला रेंज के रेंजर राम जी, वन दरोगा राम भरत यादव के साथ घायल का हाल-चाल लेने जिला अस्पताल भी पहुंचे जहां घायल से बातचीत की और हरसंभव मदद देने की बात कही। इस घटना से ग्रामीण सहमे हुए हैं।
महुआ में हमले की तीसरी घटना
लगभग दस माह पहले गन्ने के खेत की सिंचाई कर रहे किसान खेमकरन को बाघ ने हमला कर घायल कर दिया था वहीं 1 दिन के अंतराल पर ही गन्ने की छिलाई कर रहे मजदूर हरि ओम पर बाघ ने हमला कर घायल कर दिया। अभी तक दोनों घायलों को विभाग की ओर से मुआवजा भी नहीं मिल सका। मुआवजे के लिए दोनों घायल वन विभाग के दफ्तरों की खाक छान रहे हैं लेकिन मुआवजे के नाम पर उन्हें महज इंतजार करने की बात ही सुनने को मिलती है।
रिपोर्ट-राकेश बाबू
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