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गुलरिया चीनी मिल अफसरों ने लौटाया किसानों के नाम निकाला गया फर्जी ऋण

दवा जिंक दिए बिना ही कर ली गई थी गन्ना मूल्य से कटौती

-कई किसान अभी भी भुगतान से वंचित, मिल अफसर बता रहे विवादित मामला

पूरनपुर। लखीमपुर जनपद की गुलरिया चीनी मिल ने 94 गांवों में काश्तकारों के नाम फर्जी तरीके से ऋण निकालने के मामले में गन्ना मूल्य से की गई कटौती का रुपया किसानों को नगद में वापस कर दिया है। यह कार्रवाई अखबारों में मामला प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद की गई है। इलाके के काश्तकार इससे खुश हैं और बरसात के महीने में उन्हें एक तरीके से संजीवनी मिल गई है। कुछ किसानों का रुपया अभी भी फंसा हुआ है। हालांकि मिल प्रबंधन सभी मामले निपटाने की बात कह रहा है और विवाद के चलते दो-चार किसानों का रुपया ना दे पाना बता रहा है।
बलरामपुर ग्रुप की गुलरिया चीनी मिल पूरनपुर गन्ना विकास समिति क्षेत्र में 7 क्रय केंद्र चलाती है। इन क्षेत्रों में किसानों को ब्याज मुक्त दवा व जिंक आदि की आपूर्ति करके गन्ना मूल्य से कटौती करने की अनुमति केन कमिश्नर से मिल द्वारा ली गई थी। इसी का लाभ उठाते हुए चीनी मिल के कुछ कारिंदों ने काश्तकारों के इंडेंट भरकर बढ़ा लिए तो कुछ किसानों के बिना इंडेंट पर हस्ताक्षर कराए ही फर्जी तरीके से तैयार कर मोटी कटौती गन्ना मूल्य से कर ली गई। किसानों को इस बात की भनक तब लगी जब खातों में कम गन्ना मूल्य पहुचा। तब उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया। चीनी मिल पहुंचे तो वहां जीएम केन श्री उपाध्याय ने किसानों से मिलने से इंकार कर दिया। इससे किसानों का आक्रोश और भड़क गया। मामला मीडिया में आने के बाद कई समाचार पत्र ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस पर हलचल मच गई। दूसरे समाचार पत्र भी इस मामले में सक्रिय हुए और यह मामला पूरी तरह से छा गया। इस पर गुलरिया मिल के अधिकारियों में हड़कंप मच गया और पूरे मामले को निपटाने की जिम्मेदारी मिल के गन्ना प्रबंधक रविंद्र त्यागी को दी गई। उन्होंने सबसे पहले गांवो में घूमकर उन काश्तकारों की सूचियां तैयार की जिनके नाम से कटौती की गई थी। उनकी वास्तविक स्थिति सूचीबद्ध की और उसके बाद बचा रुपया किसानों को देकर मामला रफा-दफा किया गया। इस मामले में जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र मिश्रा एवं समिति सचिव सचिव श्री त्रिपाठी ने मिल के अधिकारियों की कड़ी फटकार लगाई थी। मिल अधिकारी रविंद्र त्यागी ने बताया कि सोमवार को चतीपुर और मंगलवार को सपहा के मामले निपटा दिए गए हैं। अभी बागर व बहादुरपुर सहित कुछ गांव में कुछ किसानों का बकाया है जिसे आज देकर पूरा मामला समाप्त कर दिया जाएगा।

किसान नेताओं की मांग दर्ज होना चाहिए धोखाधड़ी का केस

उधर भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष मनजीत सिंह व जिला पंचायत सदस्य सोनपाल गौतम ने इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी बताते हुए अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। उनका कहना है कि गलत तरीके से कटौती करके अधिकारियों ने मामले को खत्म करने का प्रयास किया है जो बिल्कुल गलत है। इस मामले में धोखाधड़ी का मामले में दर्ज किया जाना चाहिए और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में अधिकारी कर्मचारी ऐसा न करें। जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र मिश्रा ने बताया की भारी दबाव बनाकर चीनी मिल से किसानों का रुपया वापस कराया गया है। केन कमिश्नर को पत्र लिखकर इस मिल को इस बात के लिए ब्लैक लिस्टेड कराया जाएगा कि वे भविष्य में किसानों से कोई कटौती गन्ना मूल्य से ना कर सके।

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