शनिवार से शुरू हो रहा पितृपक्ष, पहला श्राद्ध कल

शनिवार को दस बजकर 02 मिनट के बाद लगेगी प्रतिपदा तिथि, 28 को पितर्विसर्जनी अमावस

पीलीभीत। पितृ विसर्जन कल 14 सितंबर से शुरू हो रहा है। सुबह 10 बजे तक पूर्णिमा रहेगी और उसके बाद पितृपक्ष शुरू हो जायेगा। 28 सिंतम्बर को पितर्विसर्जनी अमावस्या के साथ समापन होगा। पूरे पखवाड़े में पितरो का श्राद्ध श्रद्धा पूर्वक किया जाएगा। आज पूर्णिमा पर जलदान के साथ पितृपक्ष की शुरुआत हो गई।
पितरो के प्रति श्रद्धा प्रदर्शित करने का या उत्तम शुभ अवसर है। पितृपक्ष में उन तिथियों को पूर्वजों का तर्पण किया जाता है जिस तिथि को उनकी मृत्यु वर्ष में किसी भी महीने में होती है। जिन लोगों को तिथि का ज्ञान होता है वे तिथि के अनुरूप ब्रह्म भोज आदि कराते हैं। कौओं को भी भोजन खिलाया जाता है। जिन लोगों को तारीख का पता नहीं होता वे अमावस्या को श्राद्ध करते हैं। वृद्ध महिलाओं के लिए भी एक खास दिन रहता है। दुर्घटनाओं में मरने वालों के लिए भी खास तिथि रखी गई है। हिंदू धर्म को मानने वाले पूर्वजों को मानते हैं और इसी मान्यता के चलते पितरपक्ष में उनके प्रति श्रद्धा प्रदर्शित करने के लिए श्राद्ध किया जाता है। जनपद में पितृपक्ष धूमधाम से मनाया जाता है। 15 दिन पितरों के प्रति श्रद्धा समर्पित की जाती है। ब्रह्म भोजों का क्रम प्रतिदिन चलता है। इस बार 14 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। 14 को सुबह 10:02 बजे तक पूर्णमासी तिथि रहेगी और उसके बाद प्रतिपदा लग जाएगी। जो लोग प्रतिपदा में श्राद्ध करते हैं वह 14 सितंबर शनिवार को ही करेंगे। 28 सितंबर को पितृ विसर्जन अमावस्या पर पितृपक्ष का समापन होगा और इसके अगले दिन से ही नवरात्र प्रारंभ हो जाएंगे। वतोत्सव पर्व दीपिका के संपादक पंडित राम अवतार शर्मा ने बताया कि इस बार पितृपक्ष 14 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। मध्य तिथि को ही इसमें महत्व दिया जाता है इसलिए शनिवार को 10:02 पर पूर्णिमा के समापन के साथ ही प्रतिपदा का श्राद्ध होगा। उनके अनुसार 15 दिन में पितरों की मनपसंद भोजन, दान, दक्षिणा, वस्त्र आदि भेंट करने चाहिए। कौओं को भी भोजन कराया जाता है।

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