♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

मेरी छतरी के नीचे आ जा… क्यों भींगे नेता खड़ा खड़ा…  

चुनाव प्रचार का बदला अंदाज

– पीलीभीत में बुधवार को दिन भर होती रही बरसात लेकिन गांव गली की खाक छानते रहे सभी प्रत्याशी और समर्थक
– किसी ने घर में ठिकाना दिया तो कहीं सिर छुपाने के लिए छप्पर व त्रिपाल में घुसते नजर आए वोट मांगने वाले
पीलीभीत। एक तरफ जहां निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार पर तमाम बंदिशें लगा रखी हैं वही इंद्रदेव भी इस कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। बुधवार को पीलीभीत में पूरे दिन बरसात नहीं रुकी। रिमझिम बरसात के बीच लगभग सभी प्रत्याशी अपने उपलब्ध साधनों के अनुसार गांव, गली व शहरी क्षेत्रों में खाक छानते नजर आए।  बरसात की चिप चिप के बीच छाता लगा कर वोट मांगने के प्रत्याशियों के अंदाज को देखकर मतदाता भी मजे लेते हुए फिल्मी अंदाज में कहने लगे कि मेरी झुग्गी के अंदर आजा…क्यों भीगे नेता खड़ा खड़ा…। फिर क्या था आमंत्रण स्वीकार करके किसी ने किसी के घर में शरण ली तो कोई छप्पर पोश घर व त्रिपाल में घुसते नजर आया।
इस बार का चुनाव प्रचार बिल्कुल अलग अंदाज में हो रहा है। चुनाव आयोग ने तय कर रखा है कि जनसंपर्क में 20 से अधिक लोग नहीं जाएंगे लेकिन इंद्र देवता है कि 20 लोगों को भी नहीं निकलने दे रहे हैं। छाता लेकर दो-चार लोग चुनाव प्रचार के लिए गांव गांव जा रहे हैं। पीलीभीत सदर, बरखेड़ा, बीसलपुर और पूरनपुर विधानसभा क्षेत्रों के सभी 43 प्रत्याशी गांवों में जाकर बुधवार को भी बरसात के बीच वोट मांगते नजर आए। सभी ने अपने अपने पक्ष में मतदान करने की अपील मतदाताओं से की। लोगों से बरसात के दौरान संपर्क करने में भी प्रत्याशियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा परंतु मरता क्या न करता। मजबूरी में बरसात के दौरान भी मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ रही है।
गांवों की गलियों में कीचड़ खोल रही विकास की पोल
बरसात के चलते गांव की गलियों में कीचड़ का साम्राज्य स्थापित हो गया है। प्रत्याशी इन गलियों में ही होकर डोर टू डोर जनसंपर्क कर रहे हैं। सामान्य मौसन में मतदाता अपने गांव की इस दुर्दशा के बारे में बताने में भले संकोच करते लेकिन इंद्रदेव ने विकास की पोल खोल कर रख दी है। बरसात से गलियों में जलभराव व कीचड़ ने फिसलन बढ़ा दी है। लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। इस दुर्दशा का ठीकरा सत्ताधारी पार्टी व मौजूदा जनप्रतिनिधियों के सिर फोड़ा जा रहा है परंतु उनका तर्क है कि गांवों की गलियां दुरुस्त कराना ग्राम प्रधान का काम है लेकिन यह बात भी सच है कि प्रदेश की सरकार व मौजूदा जनप्रतिनिधि भी इसके लिए कहीं ना कहीं जिम्मेदार हैं। यह बात विपक्षी उम्मीदवार जोर शोर से मतदाताओं को समझा रहे हैं। जब जनप्रतिनिधि किसी तिरपाल, खपरैलपोश घर या झुग्गी झोपड़ी में मौजूद लोगों से मिलने जाते हैं तो शायद उन्हें इस बात की शर्म भी महसूस होती होगी कि जब
केंद्र सरकार 2022 तक सबको आवास देने का वादा कर चुकी है तो यह लोग इस हाल में क्यों हैं।
फिर लौट आया चाय पर चर्चा का जमाना
 पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाय पर चर्चा का एक नया अंदाज शुरू किया था। यह काफी हिट भी रहा था और चुनाव प्रचार के इस तरीके से भाजपा सत्ता में भी आई थी। आज यह दौर बरसात के कारण फिर से लौट आया। विपरीत मौसम में गांवों में वोट मांगने पहुंचे प्रत्याशी व उनके समर्थक आज मतदाताओं के मेहमान थे। बरसात के बीच लोगों के बाहर जाने का सवाल ही नहीं था इसलिए लोग घरों पर ही थे और उन्होंने नेताओं को चाय भी पिलाई। चाय के बीच ही चुनावी चर्चा हुई। मतदाताओं के अलावा चाय की दुकानों पर भी प्रत्याशी व समर्थक लोगों से चाय पर चर्चा करते देखे गए।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

क्या भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000