पीलीभीत जिले के निवासी थे गांधीजी के पुत्र के हिंदी अध्यापक

गजरौला। हिमालय की तलहटी तराई क्षेत्र का मशहूर जनपद पीलीभीत को देश विदेश में ख्याति प्राप्त है। जहां एक तरफ पवित्र गोमती उद्गम स्थल के नाम से जाना जाता है वही बांसुरी से इसकी पहचान बनी हुई है। टाइगर रिजर्व बन जाने से विदेशी पर्यटक भी जिले का रुख करने लगे।
जिले का राजनीतिक स्तर से देखा जाए तो इसे भी कम नहीं आंका जा सकता है। मरौरी ब्लॉक के ग्राम मकतूल निवासी खेमानन्द उर्फ श्री भगवान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (बापू ) के पुत्र देवदास गांधी के हिंदी अध्यापक रह चुके हैं । खेमानंद हिंदी के अध्यापक थे। बात वर्ष 1918 की है जब महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी को मद्रास में हिंदी भाषा के प्रचार के लिए भेजा गया। आज के दिन 1949 में बहुमत से संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया ।


फिलहाल खेमानंद के परिजन विदेशों में रहते हैं। गांव में बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि खेमानंद सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। गांव में स्मृति के लिए देव स्थान पर मूर्ति का निर्माण कराया गया जहां प्रत्येक वर्ष मेले का भी आयोजन किया जाता है।

रिपोर्ट-महेन्द्रपाल गजरौला

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000
preload imagepreload image