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बोर्ड परीक्षा : पूरनपुर और बीसलपुर में इस बार नहीं बनाए जा रहे उत्तर पुस्तिकाओं के उप-संकलन केंद्र  

70 से 80 किमी का सफर तय करके शिक्षकों को प्रत्येक पाली में जिला मुख्यालय आकर जमा करने पड़ेंगे कापियों के बंडल

-भागदौड़ में गुजरेगा पूरा दिन, दुर्घटनाओं व बाघ से मुक़ाबिले की आशंका से छूट रहा पसीना

पीलीभीत। 24 मार्च से माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाएं जनपद भर में शुरू हो रहीं हैं। परीक्षा संपन्न कराने के बाद उत्तर पुस्तिकाएं जमा करने के लिए अभी तक पूरनपुर व बीसलपुर तहसील मुख्यालयों पर उप संकलन केंद्र बनाए जाते रहे हैं परंतु शासन द्वारा यह व्यवस्था खत्म करने के बाद अब पूरनपुर व बीसलपुर में उप संकलन केंद्र नहीं बन पाएंगे। पूरनपुर व बीसलपुर के सुदूर क्षेत्र के केंद्र व्यवस्थापकों को 70 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करके प्रत्येक पाली की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल जिला मुख्यालय जाकर जमा कराने पड़ेंगे। इसके चलते केंद्र व्यवस्थापक परेशान हैं और उन्होंने अपनी समस्या जिला विद्यालय निरीक्षक के सामने रखी है।
बोर्ड परीक्षा के अपने नियम कायदे होते हैं। किसी भी पाली की परीक्षा संपन्न कराने के 1 से 2 घंटे के अंदर उत्तर पुस्तिकाओं को शासकीय संकलन केंद्र में जमा कराना होता है। इस बार जिला मुख्यालय पर ड्रमंड कॉलेज में उत्तर पुस्तिकाओं का संकलन केंद्र बनाया गया है। जनपद भर के सभी परीक्षा केंद्रों के केंद्र व्यवस्थापक दोनों पारियों की उत्तर पुस्तिकाएं इस संकलन केंद्र में जमा करेंगे। सबसे बड़ी समस्या इस बार उप संकलन केंद्र शासन द्वारा समाप्त करने को लेकर है। पिछली बोर्ड परीक्षाओं में पूरनपुर और बीसलपुर तहसीलों में उप संकलन केंद्र बनाए जाते थे। इससे तहसील मुख्यालयों के सभी परीक्षा केंद्रों के उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल उप केंद्रों पर जमा हो जाया करते थे। परंतु गत वर्ष यूपी बोर्ड ने यह व्यवस्था समाप्त कर दी है। अब जनपद में सिर्फ एक ही संकलन केंद्र होगा जहां उत्तर पुस्तिकाओं को प्रत्येक पाली के बाद पहुंचाया जाना केंद्र व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी में शामिल है। बीसलपुर व पूरनपुर तहसील मुख्यालय के अलावा सुदूर के भी कई ऐसे परीक्षा केंद्र हैं जिनकी दूरी जिला मुख्यालय से 70 से 80 किलोमीटर तक पड़ जाती है। ऐसे में इन केंद्रों से बंडल पहुंचाने में ही 3 घंटे का समय लगेगा। एक पाली के प्रश्न पत्र पहुंचाने वाले लौट नहीं पाएंगे की दूसरी पारी की परीक्षा भी समाप्त हो जाएगी। ऐसे में 2-3 शिक्षको का समय पूरे दिन बंडल ढोने में ही गुजर जाएगा।
मोटरसाइकिल या कार से बंडल ले जाने की स्थिति में दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी हाईवे पर बनी रहती हैं। कई परीक्षा केंद्र ऐसे भी हैं जहां के शिक्षक जंगल से होकर और बाघ आदि हिंसक वन्यजीवों से मुकाबला करते हुए बंडल लेकर जिला मुख्यालय पहुंचेंगे। ऐसे में केंद्र व्यवस्थापकों के सामने सबसे बड़ी समस्या मुख्यालय तक बंडलों को पहुंचाना है।

इनसेट

डीआईओएस बोले-शासन से मांगी है अनुमति

अब इस समस्या से निपटने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी सिंह के सामने समस्या रखी गई है। मीटिंग में केंद्र व्यवस्थापकों ने उन्हें इस विकराल समस्या से रूबरू कराया है। जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि यह समस्या संज्ञान में आई है परंतु शासन द्वारा गत वर्ष उप संकलन केंद्रों को समाप्त कर दिया गया है। फिर भी समस्या को देखते हुए लिखा पढ़ी की गई है और कम से कम पूरनपुर में संकलन केंद्र खुलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि चंदिया हजारा सहित सुदूर के केंद्र व्यवस्थापकों को उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल जमा करने के लिए अधिक परेशान ना होना पड़े।

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