
गुरु काव्य संध्या : गुरु चरणों की कृपा मात्र से सुलभ सदा सुरधाम है
-सुप्रसिद्ध लाल बाबा मंदिर पर हुई गुरु काव्य संध्या
-कवियों ने गुरु वंदना करके कायम किया भजन कीर्तन जैसा माहौल
पूरनपुर। कवि सम्मेलन के मंच से गुरुवर की महिमा का विशद वर्णन, प्रभु भक्ति व सदउपदेश सुनकर अमरैयाकलां के लोग झूम उठे। देर रात तक तालियों की गूंज मंदिर के घण्टे से स्वर मिलाती रही। गांव वालों को ऐसा बिल्कुल नहीं लगा कि वे राम कथा नहीं सुन रहे हैं। सुप्रसिद्ध लाल बाबा मंदिर पर मंदिर समिति व देवनागरी उत्थान परिषद द्वारा आयोजित गुरु काव्य संध्या लोगों को काफी पसंद आई।
कवियों के स्वागत सत्कार के बाद रविवार की शाम काव्य संध्या का आगाज हुआ।
मां वाणी की वंदना के बाद वरिष्ठ कवि आलोक मिश्र ने मुक्तक पढा-
“मानवता के मान तुम्हीं हो,
दोषों के विषपान तुम्हीं हो।
संसृति में तीनों लोकों के,
दृष्यमान भगवान तुम्हीं हो।।”
पीलीभीत से आये साहित्य भारती के जिलाध्यक्ष संजय पांडे गौहर ने फरमाया-
उच्च शिखर पर पहुंचाने में
उपयोगी है खंदक भी।
जैसे ज़ख्म को भर देती है
जलने वाली गंधक भी।
जीवन की इस कठिन डगर में
गर आगे बढ़ना चाहें,
अपने साथ हमेशा रखिए
निंदक भी शुभचिंतक भी।
इस लिंक पर क्लिक करके सुनिये श्री पांडेय जी की एक अन्य शानदार रचना-
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे देवनागरी उत्थान परिषद के अध्यक्ष पंडित राम अवतार शर्मा ने कुछ इस तरह से गुरु वंदना की-
जिन चरणों की कृपा मात्र से सुलभ सदा सुरधाम है।
परम ब्रम्ह का ज्ञान कराना जिनका गुरुतर काम है।
बिन गुरु नहीं मिला करता है कभी ज्ञान का लेश भी,
वंदनीय गुरु पद पदमों में मेरा सतत प्रणाम है।
मुक्तक सम्राट डॉक्टर यूआर मीत ने मौजूदा हालातों पर मुक्तक सुनाया-
अब न इसका पता और न उसका पता।
बढ़ गई व्यक्ति की इस तरह व्यस्तता।
चाहकर भी अगर हम नहीं मिल सके तो न तेरी खता और न मेरी खता।।
पीलीभीत से आये अविनाश चंद्र मिश्र एडवोकेट ने भक्ति के साथ देशभक्ति की रचनाओं में समां बांध दिया-
कल सुबह सूर्य जब निकलेगा,
भारत के लाल नहीं होंगे।
उजड़ेगा ममता का पराग,
उपवन खुशहाल नहीं होंगे।
रोयेगी धरती बिलख बिलख,
अम्बर भी अश्रु बहायेगा।
नदियों का जल भी सूखेगा,
सारा जीवन रुक जायेगा।
इस लिंक से सुन सकते हैं मिश्र की एक अन्य रचना-
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वरिष्ठ कवि अंशुमाली दीक्षित ने लाल बाबा महाराज का यशोगान अपनी रचनाओं से किया तो संचालन कर रहे कवि व पत्रकार सतीश मिश्र “अचूक” ने
मां देवदूत अलबेली है।
ममता की परम सहेली है
गीत सुनाकर तालियां बटोरीं।
दीपक शर्मा ने भी रचनापाठ किया। बाबा मुरारीदास ने गुरु वंदना पढ़ी। आभार ज्ञापन आयोजक रविन्द्र कुमार ने किया जबकि शुभारम्भ व समापन पण्डित अनिल शास्त्री ने किया।
कार्यक्रम में यह प्रमुख लोग रहे मौजूद
डॉ अरविंद दीक्षित, डॉ तेज बहादुर सिंह तेजू, सर्वेश स्वर्णकार, संदीप खंडेलवाल, रामू आचार्य, पत्रकार रामनरेश शर्मा, राधाकृष्ण कुशवाहा, विपिन मिश्र, सियाराम कुशवाहा, शिवम सहित काफी संख्या में महिला व पुरुष श्रोता मौजूद रहे और देर तक गुरु महिमा का आनंद लिया। यज्ञ आचार्य मंडल व मंदिर समिति के लोग भी रहे। आगामी गुरुपर्व पर अभा कवि सम्मेलन आयोजित करने व महान संत श्री लाल बाबा जी के जीवन पर स्मारिका प्रकाशित करने की बात भी हुई।
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