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घपला : तीन राइस मिलों पर 20 करोड़ का सीएमआर बकाया, सिर्फ कागजों में होती रही खरीद और होता रहा भुगतान

अब सीएमआर जमा कराने को हो रहे प्रयास

पीलीभीत। पिछले वर्ष सर्मथन मूल्य योजना के तहत पूरनपुर के तीन धान क्रय केन्द्रों पर 20 करोड़ से अधिक के घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है क्रय केन्द्रों पर इंचार्ज धान खरीद होना दर्शाते रहे जबकि वास्तव में धान था ही नहीं इसका खुलासा तब हुआ जब निर्धारित समय पर सीएमआर का उतार एफसीआई डिपो पर नहीं हो सका तब आला अधिकारी भी दंग रह गए और अब इस 20 करोड़ 40 लाख का सीएमआर उतारने के लिए राइस मिल मालिकों को 30 जून तक का नोटिस दिया गया है। पिछले साल सर्मथन मूल्य योजना के तहत सरकारी धान क्रय केंद्रों पर खरीदे गए धान का सीएमआर (चावल) 30 अप्रैल तक एफसीआई डिपो उतारना था लेकिन अंतिम तिथि बीत जाने के बाद भी आरएफसी के डगा, कल्लिया कुरैया और पूरनपुर मंडी प्रथम क्रय केन्द्रों पर खरीदे गए धान को सुखवीर एग्रो पुवायां समेत पूरनपुर की तीन मिलों ने सीएमआर की डिलीवरी नही की तब इस, घोटाले का खुलासा हुआ इससे पता चलता है कि इस तरह क्रय केंद्र इंचार्ज क्रमशः हरविंदर सिंह, प्रभात कुमार और शेखर मौर्य कागजों में मिलों को धान दिया जाना दर्शाते रहे जबकि वास्तव में धान था ही नहीं और सिर्फ कागजों में धान चढाया जाता रहा इस तरह सरकारी धन की बंदरबांट होती रही। सूत्रों के अनुसार मिलर द्वारा 15 अप्रैल तक अंडरटेकिंग भी दी जा चुकी थी कि उसके द्वारा बकाया समस्त सीएमआर एफसीआई गोदाम डिपो प्रेषित कर दिया जाएगा विभागीय सूत्रों की अगर माने तो सूखवीर एग्रो पुवायां, जसवंती राइस मिल पूरनपुर , जयगुरु राइस मिल और आर एस राइस मिल कलीनगर पर जनपद का लगभग 255 लाट चावल लगभग 7395 मी.टन चावल बकाया है जो कि 20 करोड़ 40 लाख का बनता है अब शासन ने इन राइस मिल मालिकों को 30 जून तक उतार का अंतिम नोटिस जारी किया है। अगर इसके बाद भी राइसमिलों द्वारा तय समय पर चावल नही दिया जाता है तो नियमानुसार मिल मालिकों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी और बकाया चावल के समतुल्य धनराशि भू- राजस्व की भांति आरसी जारी कर मिल और मिल मालिकों की चल अचल संपत्तियों से वसूली जाएगी। वैसे मिल पर धान प्राप्ति के 45 दिनों के बाद जुर्माना स्वरूप होल्डिंग चार्ज चल रहा है और यह प्रतिदिन एक रुपये कुंतल के हिसाब से है। यह सारी धनराशि राइसमिलर को जमा करनी होगी
इस तरह इस पूरे मामले से लगता है कि राइस मिलर और केंद्र प्रभारियों ने मिल कर राइस मिलर द्वारा दिये गए किसानों के कागजों की एंट्री कर क्रय केन्द्रों पर धान खरीद होना दिखाया जाता रहा जबकि वास्तव में धान था ही नहीं, इस तरह करोड़ों के सरकारी धन को हड़प लिया गया। इस मामले में तीनों क्रय केन्द्र इंचार्जों समेत खाद्य विभाग के अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।

(साभार-तारिक कुरैशी, वरिष्ठ पत्रकार)

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