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कविता : रहे न भूखा घर में कोई, खाली हो न कभी रसोई. आशिष दें जी भरके संत, तब मानूं आया बसंत.

सभी बहनों/भाईयों और मित्रजनों को बसंत पर्व की शुभकामनायें…
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रहे न भूखा घर में कोई,
खाली हो न कभी रसोई.
आशिष दें जी भरके संत,
तब मानूं आया बसंत.

संस्कार जब उर बस जायें,
शुचियाँ कोमल भाव जगायें.
बजे राग जब कनक-वसंत,
तब मानूं आया बसंत.

परिवारों में एका हो जब,
इक दूजे के साथ रहें सब.
काटें जीवन हो महमंत,
तब मानूं आया बसंत.

फरक न देवे कथनी करनी,
जिव्हा भी जब कहे न लगनी.
सुख आयें होकर बे-अंत.
तब मानूं आया बसंत.

अन्दर के रावण मर जायें,
दुर्-भावों की जलें चितायें.
राख बनें जब, भाव असंत,
तब मानूं आया बसंत.
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-दिनेश वर्मा ‘कनक’

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