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“जयति जयति जय कोशलेश रामचन्द्र, नत सिर भक्तियुक्त कोटिश: प्रणाम है”

             श्री राम वन्दन

नील जलजात सम शोभित मृदुल अंग,
वाम भाग जानकी की शोभा अभिराम है।
कर कमलों में दैत्य नाशक महान बाण,
अद्वितीय महाचाप शोभित प्रकाम है ।
सूर्य वंश अवतंस रघुकुल भूषण का ,
कमनीय मुख चन्द्र ललित ललाम है ।
जयति जयति जय कोशलेश राम चन्द्र,
नत शिर भक्ति युक्त कोटिश: प्रणाम है।।

विजय दशमी पर्व की समस्त आत्मीय जनों को अनन्त हार्दिक शुभकामनाएं।

पंडित राम अवतार शर्मा
अध्यक्ष देवनागरी उत्थान परिषद

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