राम जी के लंका विजय दिवस पर सोशल मीडिया में छाया मेला मैदान का लघु इतिहास, कुछ तो दर्द है
पीलीभीत जनपद की तहसील पुरनपुर में रामलीला मेला मैदान चर्चा में रहा है। आज भी रह रहा है। छोटा सा इतिहास सोशल मीडिया पर छाया है। इसे नीचे दिया जा रहा है । आप भी पढ़िए और जानिए की क्या दर्द है। इसका उचित उपचार भी हम सबको खोजना चाहिए।
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छोटा सा इतिहास
रामलीला मेला मैदान बचाओं संघर्ष समिति पूरनपुर,के बैनर से शुरू शुरू में कुछ लोग जुड़े क्यों कि हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र के मंचन मेला भूमि की दुर्दशा हर हिन्दू की आत्मा को झकझोर रही थी।लोगों ने सुना कि नाटक मंच के पीछे की भूमि बिक गई,पूरा मेला मैदान पहले ही घिर चुका था ,पक्के निर्माण हो चुके थे।100 बर्षो से भी अधिक प्राचीन ऐतिहासिक मेला के लिए जगह ही नहीं बची ,जब मेला शुरू होता था तो मेला भूमि पर काबिज लोग हटते ही नहीं थे ,राजनीति के धुरंधर मेला मालिक बन बैठे,मेले की कमाई खाने लगे ।बहुत से लोगों ने शासन ,प्रशासन,को चिठ्ठियां लिखी,शिकायतें की।सामूहिक रूप से शिकायतें की गई।छोटी छोटी मीटिंग की ।उस समय रामलीला मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति बनाई गई।जिन जिन लोगों ने शिकायतें की ,या शिकायतों पर हस्ताक्षर किए। छोटे बड़े ज्ञापन दिए । मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति से जुड़ते चले गए।शायद आपने भी अभियान में सहयोग किया होगा।तहसील प्रांगण में 18 दिन का आंदोलन चला ,महिलाओं ने भी भाग लिया। आज का ही दिन था नवरात्रि दुर्गा पूजा नवमी को 9 महिलाएं अनशन पर बैठी।इस दौरान इस संघर्ष समिति से बहुत से लोग जुड़ गए। हस्ताक्षर अभियान चला तब इस संगठन से 7800 लोग जुड़े और ज्ञापन पर उन्होंने हस्ताक्षर किए।संघर्ष समिति की ओर से एक जनहित याचिका में मेला मैदान खाली कराने का आदेश हाई कोर्ट इलाहाबाद ने दिया जिसमे नगरपालिका को डायरेक्शन दिया गया । पालिका चेयरमैन ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने का वादा अनशन स्थल पर किया। संघर्ष उस समय और कठिन हो गया जब चेयरमैन ने वादा तोड़कर मंच के पीछे की अवैध कब्जे की भूमि को बैध बना दिया । दाखिल खारिज कर दिया ,और नक्शा पास कर दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी मासूम अली सरबर ने भी एकतरफा कार्यवाही करते हुए नाटक मंच के पीछे निर्माण का आदेश कर दिया।और जब समिति के लोग मिले तो रासुका में जेल भेजने की धमकी दी।
रामलीला मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति में एक कोर कमेटी बनी ,जिसमे सभी सदस्य बनें।कोई पदाधिकारी नहीं बनाया गया , तय हुआ था कि जो सक्रिय रहेगा वही आगे आकर जिम्मेदारी संभाल लेना।इस प्रकार 21 लोग आए , कुछ निष्क्रिय हुए वह स्वयं हट गए ,नए सक्रिय लोग आ गए।
कोई नहीं जानता कि इसका संचालन कौन कर रहा है ।सभी अध्यक्ष है ,सभी मंत्री हैं। बिना पद के ही सभी लोग काम कर रहे हैं । जो लोग पद के लिए आगे आए वे बापंस चले गए। नाटक मंच के पीछे के भूमाफियाओं को भी नहीं पता चल सका कि कौन है , हमारे बीच के एक व्यक्ति ने स्वयं को इस आंदोलन का प्रमुख बताने का प्रयास किया तभी भूमाफियाओं ने उसे पटा लिया तो वह विरोधिओं से मिल गया।परन्तु संघर्ष फिर भी जारी रहा ।आज सैकड़ों लोग स्वयं को संघर्ष समिति का सदस्य कहने में गर्व की अनुभूति करते है।
मेला खाली होने की प्रक्रिया में तत्कालीन जिलाधिकारी शीतल वर्मा व पूरनपुर के तत्कालीन उपजिलाधिकारी श्री शशि शेखर राय जी व श्री के बी सिंह तहसीलदार के पूरनपुर वासी सदा आभारी रहेंगे।जिनकी रचनात्मक सोच , निष्पक्ष न्यायिक कार्यवाही,जनभावनाओं की समझ , के कारण हमें संघर्ष के लिए आधार मिला । उनके द्वारा की गई कार्यवाही ,व हर बिंदु पर सही वास्तविक आख्याओं के आधार पर हम सब लोग आगे बढ़े । बाद में जिलाधिकारी श्री अखिलेश मिश्रा द्वारा न्यायिक आदेशों का पालन करना । हाईकोर्ट के 105 वादी अतिक्रमणकारियों ने हाईकोर्ट से सिविल कोर्ट पीलीभीत को निर्देश लेने में सफलता हासिल कर ली। दीवानी न्यायालय पीलीभीत में सारे अतिक्रमणकारियों के मुकदमों में पैरवी करने वाले मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों को जिलाधिकारी श्री अखिलेश मिश्रा का बहुत सहयोग मिला। जहां अतिक्रमणकारियों की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी एस अशोक थे।वहीं संघर्ष समिति ने भी सिविल के जाने माने अधिवक्ता श्री इंद्रवीर सिंह के सुपुत्र श्री अतुल सिंह टोनी एडवोकेट से पैरवी कराई। हमारी सांसद श्री मती मेनका जी व विधायक श्री बाबूराम पासवान का विशेष सहयोग रहा।
बहुत बड़ी जीत हुई।मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति के सारे सदस्यों को जो प्रसन्नता मिली उससे ज्यादा खुशी पूरे पूरनपुर की जनता को हुई। बुरा हाल उनका था जो अतिक्रमणकारियों के पक्ष में खड़े थे। फिर कभी उन्हें बेनकाब करूंगा।
मेला मैदान संघर्ष समिति के हजारों सदस्य आज भी सक्रिय हैं।हजारों में से कुछ आगे बढ़कर काम करते हैं परन्तु क्रेडिट लेने की उन्हें कोई आकांक्षा नहीं है । कुछ लोग ऐसे है जो विना बजह क्रेडिट लेने की कोशिश करते हैं। मेला बचाओ सदस्यों को कभी आपत्ति नहीं रही।
निष्क्रिय व विरोधी जब सहयोग करने आ गए तो यही मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति की सफलता है।आज बहुत सारे लोग मेला बाउंड्री में धन का सहयोग करने आए उनका स्वागत है।एक सहयोग और करें कि जो मुकदमे और भी चल रहे हैं जो नाटक मंच के पीछे की मेला भूमि के अतिक्रमण करियों से चल रहे हैं।और मेला कंट्रोलर नियुक्ति के विरुद्ध पुरानी मेला कमेटी की पुरानी कमेटी बहाल कराने की याचिका को मेलामैदान बचाओ कमेटी लड़ रही है। मेला कमेटी के अधिकार सीज़ करने के अपने ही आदेश को पलटने बालेे सहायक रजिस्ट्रार बरेली के विरुद्ध हमारी याचिका विचाराधीन है।नाटक मंच के पीछे का मुकदमा जिसमें स्टे ऑर्डर था ,वह भी कमिश्नरी में खारिज कर दिया गया है।आदेश में साफ साफ है कि मौके पर 25*1*18 की स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया गया है ।
आज मौके पर कई अतिक्रमणकारियों से भी चुनौती मिल रही है।मेला भूमि की लूट मच रही है।एक तो 10फिट की रास्ता मेला भूमि से ले ली गई ।कुछ अतिक्रमणकारी 20फिट छीनने और मिल मिलाकर हड़पने में लगे हैं।सभी मेला मैदान बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों को एकजुट होकर आवाज उठानी है।और मेला भूमि बचानी है।
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