
आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, युग परिवर्तक, समाज सुधारक थे :_मुफ्ती साजिद हसनी
बरेली – मुफ्तिया खानम ने पर्दे में रहकर लिखी आला हज़रत के जीवन पर क़िताब,
देश विदेश से आये जायरीन को मुफ़्त बाँटी गई किताबें बरेली हज सेवा समिति के अध्यक्ष पूर्वमंत्री हाजी अताउर्रहमान व समिति के पदाधिकारी ने किया किताब का विमोचन
मुफ्तिया रेशमा ख़ानम अमज़दी पूरनपुर के गर्ल्स मदरसे जामिया खदीजा लीलबनात में प्रधानचार्य पद पर हैं, उनके शौहर मौलाना मोहम्मद मियां क़ादरी सरकारी टीचर हैं और दो बच्चे भी हैं,मदरसे में पढ़ाने व घर की ज़िम्मेदारी के साथ साथ उन्होंने टाइम निकालकर आला हजरत की जीवन शैली पर एक किताब तालीमात ए आला हज़रत लिखी हैं, मुफ्तिया रेशमा खानम बरेली मण्डल में अकेली महिला मुफ्तिया हैं,जो इस्लाम की जानकार हैं।आज अपने देवर इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती साजिद को उर्से रज़वी में भेजकर जायरीन को किताबें मुफ़्त
बटवाई,इससे पूर्व किताब का विमोचन बरेली हज सेवा समिति के इस्लामिया इंटर कॉलेज पर लगे स्टॉल पर समिति के अध्यक्ष पूर्वमंत्री हाजी अताउर्रहमान ‘संस्थापक पम्मी खान वारसी व समिति के पदाधिकारी ने किताब का विमोचन कर मुबारकबाद दी।
*बरेली हज सेवा समिति व अहले सुन्नत रिसर्च सेंटर* के बैनर तले जश्ने इमाम अहमद रजा का आयोजन किया गया जिसकी सरपरस्ती हाजी अताउर्रहमान पूर्वमंत्री-अध्यक्ष बरेली हज सेवा समिति
व अध्यक्षता इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी
ने की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बरेली हज सेवा समिति के सन्सथापक पम्मी खान वारसी रहे व विशिष्ट अतिथि आल इण्डिया मुस्लिम कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव रिज़वान बरकाती रहे
बरेली हज सेवा समिति व अहले सुन्नत रिसर्च सेन्टर के बैनर तले आयोजित जश्ने इमाम अहमद रजा में बोलते हुए
*मुस्लिम स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी*
ने आला हजरत की जीवनी को विस्तार से बताते हुए कहा कि आला हजरत सुन्नियत के इमाम है। उन्होंने 58 भाषाओं का ज्ञान हासिल किया तथा 1000 से ज्यादा किताबें हर भाषा में लिखीं। मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि
इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली का जन्म 10 शव्वाल 1272 हिजरी मुताबिक १४ जून १८५६ को बरेली में हुआ। आपके पूर्वज कंधार के पठान थे जो मुग़लों के समय में हिंदुस्तान आये थें। इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली के मानने वाले इन्हें आलाहजरत के नाम से याद करते है। आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक, तथा समाज सुधारक थे।
बरेली हज सेवा समिति के सन्सथापक पम्मी वारसी कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी 14 वीँ शताब्दी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) थे। जिन्हेँ उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधी दी। उन्होंने हिंद उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह सुब्हान व तआला और मुहम्मदरसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के प्रती प्रेम भर कर और मुहम्मद रसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की सुन्नतों को जीवित कर के इस्लाम का परचम बुलन्द किया
इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने कहा कि आला हजरत 13 वर्ष की कम आयु में मुफ्ती की श्रेणी ग्रहण की। उन्होंने 72 से अधिक विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक किताबें लिखीं जिन में तफ्सीर हदीस उनकी एक प्रमुख पुस्तक जिस का नाम अद्दौलतुल मक्किया है जिस को उन्होंने केवल 8 घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथों के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। उनकी एक प्रमुख ग्रंथ फतावा रज्विया इस सदी के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 13 विभागों में विरचित है। कन्जुल ईमान फी तर्जमतुल कुरान पूरी दुनिया में मशहूर है
आला हजरत के उर्स के मौके पर पूरनपुर जामिया खदीजा लिलबनात की प्रिन्सिपल
मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी द्वारा तालीमात ए आला हजरत व मुफ्ती साजिद हसनी कादरी द्वारा तजकिरा-ए-इल्म व उलेमा व इन्डिया में पहली बार दो मुजदिदो आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च की गयी किताब इमामे दीन मुजद्दिद अल्फसानी व इमाम अहमद रजा. नवीन ईशाअत का विमोचन किया गया और उर्स के मौके पर नौ महला बरेली मे फ्री में पुस्तकें बांटी गयीं।
रिज़वान बरकाती ने कहा कि मुफ्ती साजिद हसनी ने 2011 में आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च किया इंग्लिश उर्दू अरबी फारसी चार जुबान में इस किताब को लिखा पूरी दुनिया में इस पुस्तक की मांग हो रही है
अहले सुन्नत रिसर्च सेंटर के डिवीजनल अध्यक्ष मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने काइद ए मिल्लत सय्यद महमूद अशरफ अशरफीउल जीलानी सज्जादा नशीन किछौछा शरीफ की ओर से 101 वे उर्से आला हजरत के मौके पर फूलों की चादरे पेश कर खिराजे अकीदत पेश किया
पम्मी खान वारसी मुफ्ती साजिद हसनी कादरी मोहम्मद सलमान सलमानी रिज़वान बरकाती कैफी खान मौलाना अब्दुल कादिर खाँ बरकाती मौलाना शैख सबीहुल हसन जावेद खा गुड्डू हनीफ साबरी सुहेल अहमद आदि लोग मौजूद रहे।
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