श्री रामचरित मानस पाठ : आज सुनिये सुंदरकांड का पावन पाठ

महावीर बिनबऊ हनुमाना
राम जासु जस आप बखाना

मैं महावीर श्री हनुमानजी की विनती करता हूं,जिनके यशका श्रीरामचन्द्रजी ने स्वयं (अपने श्रीमुख से) वर्णन किया है।(रामचरित मानस,बालकाण्ड)

प्रनवऊँ पवनकुमार खल बन
पावक ज्ञान घन ।
जासु हृदय आगार
बसहिं राम सर चाप धर ।।

“मैं पवनकुमार श्री हनुमानजीको प्रणाम करता हूं,जो दुष्टरूपी वनको भस्म करनेके लिए अग्निरूप हैं,जो ज्ञानकी घनमूर्ति हैं और जिनके हृदयरूपी भवनमें धनुष-बाण धारण किये श्रीरामजी निवास करते हैं।”
श्री हनुमत कृपा से आपका दिन शुभ हो।

सुनिये सुन्दरकाण्ड पाठ

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