टॉप फाउंडेशन कविता लेखन प्रतियोगिता : पहली मार्च के विजेता घोषित हुए उमेश अदभुत, दूसरे प्रतिभागी भी कम नहीं

टॉप फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा

दरकना

(यह शब्द आकाशवाणी द्वारा उपलब्ध कराया गया था)

पर 01 मार्च की कविता प्रतियोगिता आहूत की गई। जिसमें निम्न लिखित प्रतिभागी रहे। निर्णायक मंडल द्वारा उमेश त्रिगुणायत अदभुत की कविता को आज की टॉप कविता घोषित किया। हार्दिक शुभकामनाएं अदभुत जी।

कवि परिचय

आज के विजेता कवि उमेश त्रिगुणायत अद्भुत जी का जन्म  माधोटांडा अर्थात गोमती नगरी में हुआ है। उनके पिता स्व. रामसेवक त्रिगुणायत भी बहुत बड़े कवि थे। श्री अद्भुत हास्य के बड़े हस्ताक्षर हैं और वर्तमान समय में बरेली में आशियाना बनाया है और पीलीभीत के कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आप देशभर के विभिन्न मंचों पर तो अपनी छाप छोड़ ही चुके हैं एक टीवी चैनल के सुप्रसिद्ध वाह जी वाह शो में भी काव्य पाठ करके पीलीभीत का नाम रोशन कर चुके हैं। सुंदर छंद लेखन में आपकी अच्छी पकड़ है और इसके उदाहरण अक्सर हम सबको मिलते रहते हैं। पीलीभीत के कवियों पर आपका लिखा गीत आप इस लिंक से सुन सकते हैं..

https://youtu.be/fTLcYSk3LWg?si=3wivZv5ETpFehLHf

यह रही उमेश जी आज की टॉप कविता

इस टॉप कविता को राष्ट्र प्रहरी भारत दैनिक समाचार पत्र में संपादक भाई अजितेश त्रिपाठी जी द्वारा प्रकाशित किया गया है।

त्रिपाठी जी प्रसार भारती के प्रतापगढ़ जिले के संवाददाता भी हैं। आपका टॉप फाउंडेशन की तरफ से धन्यवाद। आभार

इक ओर ज़िंदगी यह तिल तिल सरक रही है।
दूजे खुशी न दिल में कोई झरक रही है।
खंजर लिए खड़े हैं सब एक दूसरे को,
विश्वास की जमीं भी पल पल दरक रही है।

उमेश त्रिगुणायत अद्भुत

इस लिंक से सुन सकते हैं टॉप कविता

https://youtube.com/shorts/YPfkBj-fPA4?si=gL0yEki1hOxLlwjw

संपादकीय पेज पर हुआ प्रकाशन

चयन का आधार

निर्णायक मंडल के अनुसार अद्भुत जी की रचना दिगपाल छंद है और इसमें सही और सुंदर संदेश दिया गया है। अन्य कई प्रतिभागियों द्वारा न तो समय से रचनाएं नहीं दी गई अथवा मानकों को ही पूरा नहीं किया गया। निर्णायक मंडल के पंडित राम अवतार शर्मा जी व श्री संजय पांडे गौहर जी द्वारा अपनी रचनाएं प्रतियोगिता से बाहर रखते हुए उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत की गई हैं। सतीश मिश्र अचूक द्वारा भी इसी तरह अपनी रचना प्रस्तुत की गई जो प्रतियोगिता से बाहर रही।
…..
कवियों को कविता लेखन हेतु प्रोत्साहित करने के लिए डाक्टर नीता सुशील अग्रवाल जी ने लिखा…

वाचन को उत्सुक रहें, नित्य नवल का जाप।
कवि समूह ही शांत हैं, हृदय व्याप्त संताप।
हृदय व्याप्त संताप, सकल कवि कब बोलेंगे?
शब्द वीथिका साध, श्रवण मधु रस घोलेंगे।
दरक न जाए आन, सूना हो न कवि आँगन।
करें उपस्थिति दर्ज, करते रहें नित वाचन।

डॉ. नीता सुशील अग्रवाल
…..
दरक रहे संबंध सब, भटक रहा इंसान।
मोबाइल गुम कर रहा, आपस की पहचान।
आपस की पहचान कहो किस भांति परखना।
मूक देखते संबंधों का आप दरकना।
कह ‘अचूक’ कविराय अब फैल रही यह गंध।
साजिश समझो आप क्यों दरक रहे संबंध।।

सतीश मिश्र ‘अचूक’
….
सभी को साथ में रक्खा
हमेशा जिंदगानी में।
दिवारों की तरह हमने
दरकना तो नहीं सीखा।
पकाया उम्र ने गौहर
न है ये रंग उजालों का ।।
किसी फल की तरह शाखों पे
पकना तो नहीं सीखा।।

संजय पांडे गौहर
…..

जाने किस भ्रम में जीते हैं ,यहां सब कुछ ही है नश्वर सा।
पल पल सरकती है जिंदगी, नदी का किनारा हो दरकता सा।
उजड़ जाते हैं आशियाने ,तिनके तिनके बिखर जाते हैं ।
टूटजाता है आशा का संबल जब लगता है विश्वास दरकता सा।
कितने मंजर हमने भी देखे हैं वक्त का रंग बदलते देखा ।
अपने गौरव की गाथा गाते पुराना मकान हूं अब दरकता सा।।

संजीता सिंह
…..
भौतिक प्रगति हेतु मानव ने प्रकृति के,
साधनों के साथ किया खिलवाड़ भारी है।
पर्वतीय क्षेत्र में विकास की बही जो गंग,
पेड़ पौधे पर्वतों की खूब हुई ख्वारी है।
काट के पहाड़ बने बहुमंजिला मकान,
चल रही योजना अनेक सरकारी हैं।
रुष्ट हो गई प्रकृति धरती दरकने से,
आ गई विपत्ति ये महाविनाशकारी है।।

पंडित राम अवतार शर्मा
…..
कथनी और करनी में जहाँ फरक रहे,
उस घर अपनत्व के परदे सरक रहे।
सुविधाओं ने सबको ऐसा विमुख किया,
जरा-जरा सी बात पर रिश्ते दरक रहे।।

विकास आर्य स्वप्न
……
दिल की दरकनों से कहीं कविता फूट कर निकली है।
भोर की चिलमनों से मानो लाली मचल कर निकली है।
शब्द शब्द कविता की नक्काशी पे हैं साज रहे।
भावों की देह पे दरकन की पीड़ा को हां हां आवाज मिले।।

डाक्टर निराजना शर्मा
…..
बड़ा नाजुक सा होता है, पिया से प्रीत का बंधन
समर्पण और अर्पण का, हृदय की जीत का बंधन
पनपने दो इसे निष्ठा से वा विश्वास से प्यारे।
ज़रा सी भूल से देखो दरक ना जाए ये बंधन
दरक जो पड़ गयी इक बार इस गुलशन मै बगिया मे
पतझड़ पात सा सुखा झरेगा प्रीत का सावन
प्रेम की खाद तुम डालो औ सींचो त्याग से इसको
सजा लो फिर समर्पण से, सुगंध हो जाए ये गुलशन।

सुगंध विकास वाजपेई

…….

टॉप फाउंडेशन कविता लेखन प्रतियोगिता हेतु आज 2 मार्च 2024 का विषय

फागुन में सावन

6 से 8 लाइन तक की सभी विधाओं की रचनाएं दे सकते हैं।

समय आज 2 मार्च 2024 शाम 4 बजे तक टॉप फाउंडेशन ग्रुप या समाचार दर्शन 24 के संपादक सतीश मिश्र अचूक के मोबाइल नंबर 9411978000 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं। Topftrust@gmail.com पर भी रचनाएं भेजी जा सकतीं हैं।

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