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बाबू तेजबहादुर जी की याद में छलक उठे नौगवां संतोषवासियों के नयन

रिपोर्ट- मुकेश सक्सेना एडवोकेट

बिलसंडा। जनपद पीलीभीत की विधानसभा बीसलपुर का गांव नौगवां संतोष एक बार फिर बाबूजी की पुण्यतिथि पर उनकी यादों में खो गया। उस जमाने में हर दिलों पर राज करने बाले पूर्व मंत्री बाबू तेज बहादुर गंगवार को भला भुलाया भी तो कैसे भुलाया जाए, जो यहां की जनता का दुःख दर्द बांटने और विकास के लिए हर मोड़ पर सारथी बने हो खड़े रहे हो। बाबू जी की राजनीति उपलब्धि का हर कोई कायल हैं। चाहे किसानों की किस्मत चमकाने बाली किसान सहकारी चीनी मिल हो,या फिर बच्चों की उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए राजकीय डिग्री कालेज हो या बरेली के लिए जाने बाला मार्ग और पुल ऐसा कौन सा उस जमाने का जरूरी से जरूरी विकास कार्य न हुए हो,जिसको बाबू जी न पूरा किया हो। बाबू जी सदैव यहां की जनता के सच्चे हमदर्द रहे। यही वजह रही,कि बाबू जी सिर्फ बीसलपुर विधानसभा में ही नहीं वल्कि पूरी जिले की जनता के दिलों पर लंबे समय तक राज करते रहे और तीन बार विधायक और एक बार पूर्व मंत्री का पदभार संभाला। राजनीतिक के पुरोधा बाबू जी की तूती शासन प्रशासन और सरकार में बोलती थी। बाबू जी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,के अलावा मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के भी अज़ीज़ थे। राजनीतिक की कुशल और लंबी पारी खेलने वाले बाबू जी की आठ दिसंबर को पुण्य तिथि पर उनको अपने गांव नौगवां संतोष में याद किया गया और उनकी याद में इस गांव के नेत्र पूरे दिन छलकते रहे। उनके सुपुत्र सौरभ गंगवार ने पीलीभीत में स्थित अपने आवास पर बाबू जी को याद करके श्रद्धां सुमन अर्पित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में तमाम लोगों ने प्रतिभाग किया।

बाबू तेजबहादुर जी का 77 वर्ष का जीवन का सफरनामा

*बिलसंडा। पूर्व मंत्री बाबू तेजबहादुर गंगावार का जन्म आजादी से पूर्व 22 फरवरी 1930 को हुआ। उनके पिता रामप्रताप थे और व्यवसाय कृषि रहा। बाबू जी भाई स्कूल पास थे। इनका शादी 1943 में कमला देवी से हुई। 5पुत्र और 3 पुत्री संतान रूप में प्राप्त हुई। इनका निधन 8 दिसंबर 2007 में 77 वर्ष में हो गया। इनके बहनोई चेतराम और भानुप्रताप विधायक सांसद और मंत्री रहे। अमेरिका क्यूबा जमइका जैसे देशों की विदेश यात्रा भी की।

भाक्रांप से 1969 में बने पहली बार विधायक

बिलसंडा।पूर्व मंत्री स्वर्गीय बाबू तेजबहादुर गंगवार की राजनीतिक बड़ी पारी की शुरुआत भारतीय क्रांति पार्टी 1969 से हुई और पहली बार विधायक चुने गए। फिर कांग्रेस के टिकट पर 1974 और फिर सामान्य निर्वाचन में 1980 में तीसरी बार विधायक चुने गए। 1979 में धारा 144 का उलंघन करने पर 4 दिन की कारावास की भी सजा भुगतनी पड़ी। विधानसभा की अनुसूचितजाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति संबंधी संयुक्त समिति, प्रमुख विकास क्षेत्र समिति, कालेज संस्थापक, प्रबंधक, बैंक, गन्ना समिति आदि संस्थाओं के प्रमुख पदों पर आसीन रहे। राजनीतिक की शुरुआत प्रमुख विकास क्षेत्र से की। बाबू जी को कई चुनावों में पराजित भी होना पड़ा लेकिन राजनीतिक में वे हताश कभी भी नहीं हुए और राजनीतिक हरसत उनके अंतिम श्वास तक रही।

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