
आधा दर्जन लोगों ने बचाई नवजात बच्ची की जिंदगी
*बिलसंडा में इंसानियत और हैवानियत का खेल*
जिंदगी की भीख मांगती अबैध संतान और नोचते कौए
बिलसंडा। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के सरकारी कदम कितने भी कारगर साबित क्यों न हो रहे हो लेकिन कोख में पल रही अवैध संतानों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उपाय प्रशासन के पास नही है। बस किस्मत की बदौलत इनकी जिंदगी बचा गयी तो ठीक है, बरना जिंदगी तो कुत्ता, बिल्ली, कौओं के हवाले जिंदगी की भीख मांग रही होती है।
*अफसोस!* जहां मां की ममता अपने जीवन को अपनी संतान के लिए सर्वत्र निछावर कर देती है, वहीं कोख में पलती अवैध संतान की मां की कठोर ममता अपनी ही अवैध संतान की जिंदगी को खाक में मिलाने में तनिक भी गुरेज नहीं करती-? अधिकतर ऐसे मामलों में ज्यादातर ऐसी संतानें जिंदगी में आने से पहले कोख में ही दफन कर दिया जाता है या फिर जन्म के बाद किसी कचरे में फेंक दिया जाता है। *ऐसी जिंदगी बचा गयी तो उस शिशु की किस्मत है, वरना कुत्ते,कौए, बिल्ली के हबाले तड़प तड़प कर मरने को मजबूर हो जाती है,यह जिंदगियां-?*
इनकी मां की ममता भी समाज के आगे दफन हो जाती है और *एक ऐसी मौत जिसे कफन तक नसीब नहीं होता*। कोई सार्वजनिक तौर पर आंसू भी इनकी मौत पर नहीं बहाता। क्योंकि यह जिंदगी लावारिस जो होती है। इस संतान को लोग पाप की संज्ञा देते हैं। यदि जिंदगी शिशु की बच गयी,तो कोई मसीहा भी बनकर उनकी परिवरिस भी करता है।ठीक इसी तरह की एक अवैध कोख का किस्सा कल शाम बिलसंडा कस्बे में सुर्खियों में रहा। कस्बे में एक लावारिस नवजात बच्ची कूड़े के ढेर में पड़ी थी जिसकी जिंदगी बचाने के लिए नगर के *समाज सेवी आशीष सक्सेना
एडवोकेट, वैभव सक्सेना,डा अवधेश शर्मा,मो मियां* सहित कई लोग सामने आये और नवजात शिशु को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे यहां पर भर्ती कराकर उसकी जान बचाई। इस मामले से जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को भी अवगत करा दिया गया है। अस्पताल की नर्स उसकी देख भाल कर रही है। बच्ची स्वस्थ है। डीएम की गाइड लाइन के बाद बच्ची को जरूरत मंद को सौंपा जायेगा।
रिपोर्ट मुकेश सक्सेना एडवोकेट
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