♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

योगी जी जांच कराइये ! गोमती पुनरोद्धार में कौन कौन बना हुआ है “खलनायक”

पीलीभीत। आप सब ने अक्सर यह तो सुना होगा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में शुरू हुई कोई योजना भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने पर धड़ाम हो गई हो परंतु ऐसा किसी ने नहीं सुना होगा कि भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई योजना उनकी ही सरकार में धूल धूसरित तो हो जाए। अधिकारी और जनप्रतिनिधि उसकी उपेक्षा करने लगें। लेकिन पीलीभीत जनपद में ऐसा ही हो रहा है। योगी सरकार ने गोमती पुनरोद्धार को अपने नदी पुनरोद्धार प्लान में शामिल किया था। शुरुआती दौर में काम भी हुए परंतु अब इस पुनरोद्धार योजना की हवा पूरी तरह निकल चुकी है। ना तो अफसर गोमती का रुख करते हैं और ना ही जनप्रतिनिधि। बेचारी जनता भी इसे कालचक्र की नियति मानकर चुप बैठ गई है। सरकार अगर किसी काम को अपने अभियान में शामिल कर ले तो अधिकारी और जनप्रतिनिधि उसके पीछे दौड़ने लगते हैं। ऐसा केवल सुना जाता था परंतु जब योगी सरकार ने सात नदियों को अपने पुनरोद्धार कार्यक्रम में शामिल किया और गोमती के उद्धार की बात कही तो ऐसा लगा कि पूरा शासन-प्रशासन व नेतानगरी इसी काम में जुट गए हैं। तत्कालीन जिलाधिकारी अखिलेश मिश्रा की अगुवाई में काफी काम हुए। ऐसा लगा कि गोमती को एक नई पहचान मिल जाएगी। परंतु श्री मिश्रा के जाते ही अपेक्षाओं का दौर शुरू हो गया। अब साल भर का समय होने को है। इस दौर में ना तो जिले के बड़े अधिकारी गोमती पहुंचे हैं और ना ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधि। जिले के प्रभारी मंत्री ने भी अभी तक गोमती का रुख नहीं किया है। सांसद, विधायक भी गोमती तक नहीं पहुंच पाए हैं। यही कारण है कि गोमती नदी अपने उदगम पर ही पूरी तरह उपेक्षित होकर रह गई ।

शारदा नहर से नही मिला पानी, कैसे बहे अविरल धारा

गोमती को उदगम से बहाने के लिए सबसे बड़ी समस्या उद्गम पर जलाभाव की है। इसे शारदा नदी की नहर से पानी देने के लिए नाला बनवाया गया था परंतु पर्याप्त पानी ना आने के कारण पिछले काफी दिनों से जलापूर्ति बंद पड़ी है और गोमती के कदम उद्गम की फुलहर झील पर ही ठिठक कर रह गए हैं। इसके चलते गोमती प्रेमी निराश हैं।

खुद योगी जी 3 बार आये पीलीभीत पर नहीं देखा गोमती का उद्गम

मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन बार पीलीभीत जिले के दौरे पर आए हैं परंतु हैरत की बात तो यह है कि एक बार भी योगी जी ने गोमती नदी की तरफ मुड़कर देखने की जहमत नहीं उठाई। एक बार तो वे चूका पिकनिक स्पाट पर चोखा बाटी का आनंद लेने गए। जिस मोड़ से वे चूका के लिए मुड़े उससे गोमती उदगम महज ढाई से 3 किलोमीटर दूर ही था। अभी हाल में ही उनका बिलसंडा क्षेत्र का दौरा लगा परंतु वहां गोमती का जिक्र ना करना भी उन अधिकारियों के हौसले बढ़ाने के लिए काफी था जो गोमती की उपेक्षा करने के लिए मशहूर हो चुके हैं। अगर एक बार योगी जी ऐसे अफसरों से गोमती के बारे में पूछ ही लेते तो शायद उनके कदम गोमती तक पहुंच गए होते परंतु ऊपर से शुरू हुई उपेक्षा नीचे तक इस स्तर तक पहुंच जाएगी इसका अनुमान शायद किसी को भी नहीं था। सीएए पर भारी भीड़ जुटाने का गुमान करने वाला भाजपा संगठन काश एक दिन गोमती उदगम आकर यहां की उपेक्षा निहार पाता। गोमती का गुनहगार वो विपक्ष भी है जिसने योगी सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं, प्रशासनिक अफसरों की गोमती पुनरोद्धार रूपी नाकामी पर विरोध का साहस भी नही जुटाया।

इनसेट-

गोमती मंदिर के पुजारी को हटाया, अब नही होती नियमित पूजा-आरती

किसी भी धार्मिक स्थल की महत्ता वहां होने वाली पूजा-अर्चना से भी जानी जाती है। पूर्व जिलाधिकारी अखिलेश मिश्रा के प्रयासों से गोमती उद्गम तीर्थ पर गोमती मैया का भव्य मंदिर बनाया गया था। यहां नियमित पूजा और आरती के लिए पुजारी की तैनाती की गई थी, परंतु कलीनगर के मौजूदा एसडीएम ने पुजारी को अपने निजी स्वार्थबस हटा दिया। इसके चलते अब गोमती मंदिर में नियमित पूजा भी नहीं हो पा रही है। कभी-कभार दीपक जल जाता है। आरती पूजा नियमित ना होने के कारण भी उदगम पर ऐसी उपेक्षित स्थिति आना माना जा रहा है। यह मामला गोमती भक्तों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरनपुर के राइस मिलर स्व.सुमन गुप्ता की याद में दिया गया ई रिक्शा भी चालक के अभाव में गोमती भक्तों को लाने ले जाने के काम नही आ पा रहा है। तमाम काम अधूरे पड़े हैं।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

क्या भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000