महाशिवरात्रि : आराधना बहुत ही महंगी, तुम सम देव न दूजा। बेलपत्र, जल, भांग-धतूरे से हो जाती पूजा।।

अमृत सबको भाया, पर तुम बिष को गले लगाते।
यश-वैभव सबको भाता, पर धूनी आप रमाते।।
जग के हो संघारक लेकिन भक्त अगर भा जाते।
इतना देते झोली भरके थाह कभी ना पाते।।
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आराधना सभी की महंगी, तुम सम देव न दूजा।
बेलपत्र, जल, भांग-धतूरे से हो जाती पूजा।।
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अन्नपूर्णा उमा, षड़ानन और गजानन देवा।
रिद्धि-सिद्धि का वास, सर्वदा करतीं प्रभु की सेवा।।


रचनाकार-सतीश मिश्र “अचूक”
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#महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।।

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