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कवि “विचित्र” किस पर डालें रंग, साली-घरवाली दोनों काली, नहीं चढ़ता कोई रंग

पूरनपुर। होली में सबसे अधिक रंग साली को लगाया जाता है। यूं कहें कि साली होली का सबसे अच्छा ब्रांड है तो गलत नहीं होगा। लेकिन हमारे भाई कवि देव शर्मा विचित्र की साली तो काली है ही घरवाली भी काली है।

वह भी इतनी कि उन पर कोई रंग ही नहीं चढ़ता। इसलिए वे बेचारे परेशान हैं। रविवार को शिव शक्ति धाम मंदिर पर आयोजित देवनागरी उत्थान परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी में उन्होंने ऐसी ही एक कविता सुनाई। जिसमें साली और घरवाली काली होने के कारण रंग डालने में उन्हें दिक्कत आ रही है। सुनिये कविता-

यहां देव नागरी उत्थान परिषद के तत्वाधान में कवि गोष्ठी आयोजित की गई थी। इसकी व्यवस्था पंडित अनिल शास्त्री ने की।अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष पंडित राम अवतार शर्मा व डॉ यूआर मीत व संचालन कवि व पत्रकार सतीश मिश्र अचूक ने किया।  विकास आर्य, रवि गुप्ता नील,ऋषभ देव, सियाराम कुशवाहा, संदीप खंडेलवाल, कुवारी प्रिया पांडे

कु प्राची पांडे, पंडित नवल किशोर शास्त्री, दीपक आदि ने कविताएं सुनाई । काफी संख्या में श्रोता भी मौजूद रहे।

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