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“भगीरथनगर” गंगाघाट पर आकार ले रहा एक “संकल्प”, 15 को बनारस जैसी “महाआरती”

15 जनवरी से काशी के तर्ज पर शुरू होगी महाआरती
-अब भगीरथ घाट के नाम से पहचाना जाएगा कछला

(लोकेश प्रताप सिंह)

बात 2013 की है। उस वक्त दैनिक जागरण में मेरा स्थानांतरण कानपुर से बदायूं के लिए हुआ था। समझ नहीं आ रहा था बदायूं जाने का कारण। इसी दौरान गंगा भक्त ठाकुर ओमकार सिंह के साथ कछला गंगा घाट जाने का अवसर मिला। बस ऐसा लगा कि गंगाजी के कार्य के लिए ही बदायूं आना हुआ। बस शुरू कर दिया गया निर्मल गंगा अविरल गंगा अभियान। त्रिदंडी स्वामी वासुदेवाचार्य जी का मार्गदर्शन मिला तो स्वामी रामचन्द्राचार्य जी का सानिध्य भी। बिना किसी भेद के सभी दलों, वर्गों से जुड़े लोग इस अभियान से जुड़े तो प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों ने भी कदमताल किया। एक विलक्षण सामूहिक महाशक्ति का सृजन हुआ।

वहीं करीब में भगीरथ गुफा के बारे में जानकारी हुई तो भगीरथ मंदिर निर्माण का भी संकल्प गूंजा। कछला का नाम भगीरथ नगर किये जाने की भी मांग की गई। करीब ढाई वर्ष बाद मेरा पीलीभीत स्थानांतरण हुआ तो लगा कि कहीं ऐसा न हो यह अभियान अधर में लटक जाय, लेकिन उस संकल्प ने हम सबको सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मुझे याद है कि जब बगैर किसी प्रशासनिक हस्तक्षेप के कछला घाट पर देवी मूर्तियों के शत प्रतिशत भूविसर्जन की सबसे पहले स्वस्थ परंपरा शुरु कराई गई।

कछला में गंगा के इस अनूठे अभियान के बारे में मुख्यमंत्री योगी जी को जब अवगत कराते हुए भगीरथ के नाम पर नामकरण का आग्रह किया तो उन्होंने सहज ही अपनी सैद्धांतिक सहमति 13 जून 2018 को ही दे दी थी।

अब बदायूं के जिलाधिकारी ने अभियान से जुड़े लोगों को साथ लेकर काशी की तर्ज पर आरती की परंपरा शुरू करवाने की तैयारी की है। 15 जनवरी मकर संक्रांति को इसका आगाज भगीरथ घाट कछला में होगा।

स्वास्थ्य बहुत अनुकूल न होने के बावजूद मां गंगा के घाट एक संकल्प को साकार रूप देखने का लोभ नहीं संवरण कर पा रहा हूँ। त्रिदंडी स्वामी वासुदेवाचार्य जी, स्वामी पगलानन्द जी की अगुवाई में गंगा प्रहरियों के साथ मैं भी 15 जनवरी को कछला भगीरथ घाट पर दर्शन का सौभाग्य हासिल करूँगा। यह प्रसन्नता का विषय है कि कछला का नामकरण राजा भागीरथ के नाम से किया जा रहा है। इस अभियान से जुड़े सभी गंगा प्रहरियों गंगा भक्तों का भगीरथ मंदिर पर स्वागत है। जय माँ गंगे।।

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