
राम विवाह की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता, बरखेड़ा विधायक भी पहुंचे
पूरनपुर। गांव आसपुर जमुनिया के ठाकुर द्वारा मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीराम कथा के
पांचवें दिन चाँदपुर हरनाई से पधारे कथा व्यास पं. अरविंद दीक्षित ने राम विवाह की कथा सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इस दौरान बरखेड़ा विधायक सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।
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https://youtu.be/3RJuTlfuwGA?si=ENued0j6tik83fpV
आसपुर जमुनिया के ठाकुर द्वारा मंदिर पर महंत बाबा राघवदास की ओर से 27 सितंबर से श्रीराम कथा का आयोजन चल रहा है। जिसमें दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक एवं रात्रि आठ बजे से ग्यारह बजे तक श्रीराम कथा का आयोजन चलता है। श्रीराम कथा के पांचवें दिन चाँदपुर हरनाई से पधारे कथाव्यास पं. अरविंद दीक्षित ने रविवार को राम विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक सीता का स्वयंवर रखते है। जिसमें कई देशों के राजकुमारों को स्वयंवर में आमंत्रित करते है। स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण जाते है। देश के कोने-कोने से आए युवराज शिव धनुष उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन कोई भी शिव धनुष को हिला तक नहीं पाता। तब राजा जनक मन में दुखी होते हैं। उन्होंने शिव धनुष उठाने की जो शर्त रखी है, उससे लग रहा है कि उसे कोई पूरा नहीं कर पाएगा और सीता का स्वयंवर नहीं हो सकेगा। राम राजा जनक के मन की बात जान जाते हैं और गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर शिव धनुष उठाने जाते हैं। राम शिव धनुष को नमन करने के बाद उसे एक हाथ से उठा लेते हैं। धनुष पर प्रतिंचा चढ़ाते समय शिव धनुष टूट जाता है।
इसके बाद सीता राम के गले में वरमाला डाल देती हैं राम की जय जयकार होने लगती है। इसके अलावा श्रीराम कथा को सुनने बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रवक्ता नन्द भी पहुंचें। कथा में स्वामी प्रवक्ता नन्द ने भक्तों को प्रवचन सुनकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
महंत बाबा राघवदास ने बताया कि श्रीराम कथा का समापन तीन अक्टूबर को हवन व कन्या भोज के साथ होगा। कार्यक्रम में डा. विनोद तिवारी, श्रीकृष्ण दास, रामपाल दास, हरजीत सिंह, विजयपाल सिंह, महेंद्र वर्मा, नन्दराम वर्मा, सुरेश श्रीवास्तव, सर्वेश कुमार स्वर्णकार, प्रभूदयाल, कुंदनसिंह, ओमप्रकाश कुशवाहा, राधाकृष्ण कुशवाहा, रामनिवास, राजेश सिंह, रामसनेही भास्कर, ढोलक मास्टर निरंकार शर्मा, आर्गन संदीप शर्मा आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-हर्षित कुशवाहा, (अमरैयाकलां, पूरनपुर)