महिला के बाद पुरुष को बाघ ने बनाया अब निवाला
पीटीआर के विरुद्ध जनता में आक्रोश
*पुलिस और जनता के बीच हुई नोकझोंक*
पीटीआर कर्मियों की दिखी लापरवाही
*गजरौला*। नो दिन पहले पीटीआर के जंगल से बाहर निकल कर एक बाघ ने एक महिला को मौत के घाट उतार दिए। जाने से अभी गांव में दहशत का माहौल समाप्त नहीं हुआ था। आज फिर अपने खेत पर गेहूं की फसल को देखने गये एक किसान को बाघ ने फिर अपना निवाला बनाया जिससे गांव के लोगों में हड़कंप मच गया। और पीटीआर के विरुद्ध आक्रोश जाहिर हो गया। सूचना मिलते ही गजरौला पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंच गया। टाइगर के आतंक को लेकर पुलिस और जनता के बीच नोकझोंक भी हुई।
जनपद पीलीभीत के थाना गजरौला क्षेत्र के माला रेलवे स्टेशन के नजदीक माला कॉलोनी निवासी 35 वर्षीय कृष्णा राय पुत्र अचल राय अपने खेत पर लगे गेहूं की फसल को देखने गया था। गेहूं की फसल देखते समय वहां पहले से ही फसल के बीच में बैठे एक बाघ ने उस पर अचानक हमला बोल कर उसे मौत के घाट उतार दिया। बाघ के द्वारा ग्रामीण पर हमले को देखकर गांव वाले टाइगर से बचाने के लिए उसकी ओर दौड़ पड़े भीड़ के शोरगुल को देखकर टाइगर ग्रामीण को छोड़कर जंगल की ओर भाग गया। बाघ के द्वारा नो दिन बाद फिर एक ग्रामीण को मौत के घाट उतार दिया। जाने से गांव में दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया। ग्रामीणों ने पीटीआर के अधिकारियों की इसकी लापरवाही बताते हुए। आक्रोश जाहिर किया। बाघ द्वारा ग्रामीण को मौत के घाट उतार दिए। जानें की सूचना क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। पूरा गांव घटना स्थल पर भीड़ के रूप में उमड़ लगा सूचना पर गजरौला पुलिस भी मौके पर पहुंची पुलिस और ग्रामीणों के बीच नोकझोंक भी हुई।
इंसेंट
नो दिन पहले भी माला कॉलोनी की ही एक महिला रमोनी देवी को भी बंदरो से अपनी फसल की रखवाली करते समय बाघ ने मौत के घाट उतार दिया था। उसकी मौत से ग्रामीणों में अभी बाघ की दहशत कम नहीं हुई थी। आज फिर एक ग्रामीण को बाघ के द्वारा मार दिया जाने से लोगों में बाघ की दहशत कायम हो गई।
बाघ द्वारा ग्रामीण को मौत के घाट उतार दिया जाने से पुलिस विभाग के भी हाथ-पांव फूल गए। घटनास्थल पर उमड़ती हुई भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आनन-फानन में पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंची जहां ग्रामीण और पुलिस के बीच में नोकझोंक हुई लोगों ने पीटीआर विभाग की लापरवाही बताते हुए। कहां यदि पहली घटना से ही पीटीआर कर्मी सजग हो जाते तो दोबारा यह घटना नहीं होती।
रिपोर्ट महेन्द्र पाल गजरौला
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