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समाचार पत्र संकलन है कलीम का जुनून, आजादी से लेकर कोरोना काल तक संजोया

पीलीभीत। आदमी का जुनून उसे उसके संकल्प को पूरा करने का हौसला देता है। लीक से हटकर संग्रह करने का शौक स्थानीय युवा कलीम अतहर खां का है। समाचार पत्रों के संकलन के इनके शौक पर हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर सम्मानित भी कियाहै। कोविड 19 महामारी में लाॅक डाउन के चलते किसी समाचार पत्र प्रदर्शनी का आयोजन नहीं हो सकता, लेकिन 30 मई को पत्रकारिता दिवस के लिए यहां के संग्रहकर्ता कलीम के पास दुनिया भर के विभिन्न समाचार पत्रों का संकलन पूरी तरह अपडेट है। उनके पास देश की आजादी से लेकर करोना महामारी जैसी मुख्य खबरों के अखबारों का संकलन पूर्ण हो चुका है।

कलीम अतहर।दुनिया में अधिकतम लोग संग्रह करने के शौकीन होते हैं किसी को सिक्के संग्रह करने का किसी को डाक टिकट संग्रह करने का तो किसी को खाली माचिस एकत्र करने का शौक होता है। संग्रह व्यक्ति की सोच पर भी निर्भर करता है प्राचीन मुद्राएं पुस्तकें कई प्रकार के संग्रह लोग बचपन से ही करते हैं ऐसे ही जनपद पीलीभीत के निवासी है कलीम अतहर खान जिन्हें कई चीजों का संग्रह करने का शौक है। इसी शौक के तहत उन्होनंे हजारों तरह के समाचार पत्रों का संकलन किया है। कलीम ने पूरे भारत में बोली जाने वाली भाषाएं हिंदी, तेलुगू, गुजराती, कोंकणी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, अंग्रेजी, उडि़या, पंजाबी, बंगाली, उर्दू, असमिया, गढ़वाली, कुमाऊनी, सिंधी, संस्कृत, बोडो भाषा के समाचार पत्रों का संकलन किया है। भारत के विभिन्न राज्यों के समाचार पत्रों के संकलन के साथ ही कलीम ने 31 देशों के भी विभिन्न भाषाओं के समाचार पत्रों का संकलन किया है। उनके संकलन में साढ़े तीन हजार से भी अधिक समाचार पत्रों का संग्रह है।कलीम का समाचार पत्रों का संग्रह करना का उद्देश्य गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराना है। हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश वल्र्ड रिकार्ड संस्था की ओर से एक्सट्रा आॅर्डनरी कलेक्शन अवार्ड से नवाजा गया है। कलीम पत्रकारिता नहीं करते, लेकिन अखबारों में दिलचस्पी जरूर रखते हैं। पिछले साल उन्होंने शहर में पत्रकारिता दिवस पर एक शानदार गोष्ठी भी आयोजित कराई थी। वह इस तरह की अधिकतर गतिविधियां हाॅबीज हैरिटेज सोसायटी के बैनर तले आयोजित करते रहते हैं। श्री खान के पास 1947 में आजादी के समय के समाचार पत्र, महान हस्तियों से जुड़ी खबरों के अखबार, जैसे महात्मा गांधी की मृत्यु, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी की हत्या आदि प्रमुख घटनाओं के समाचार पत्रों का संकलन मौजूद है। कलीम अतहर खान ने बताया कि समाचार पत्रों के संकलन से उन्हें देश की विभिन्न भाषाओं का ज्ञान हुआ।श्री खान के पास भारत के अलावा पाकिस्तान, दुबई, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, बैंकॉक, चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, कैलिफोर्निया, सिंगापुर, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, इटली, लंदन, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, उज्बेकिस्तान, जर्मनी, थाईलैंड, केन्या, युगांडा, सूडान, कनाडा, मलेशिया, इटली आदि देशों के समाचार पत्रों का संकलन है।पिछले वर्ष कलीम ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन के करीब चार सौ अखबार एकत्र करके प्रदर्शनी आ आयोजन किया, स्वर्गीय वाजपेई के निधान की खबर के समाचारपत्रों का संकलन संभवतः पूरे देश में सबसे बड़ा संग्रह होगा। इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह वाले दिन के समाचार छपे हुए विभिन्न भाषाओं के 520 समाचार पत्रों का संग्रह करके प्रदर्शनी लगाकर उन्हें अनोखे अंदाज में बधाई दी।संग्रहालय स्थापित करने का प्रयासकलीम अतहर खान पिछले पांच साल से अपने इस जुनून को अंजाम दे रहे हैं। समाजसेवी और आरटीआई ऐक्टिविस्ट कलीम बताते हैं कि उन्हें अखबारों के संग्रह में दिलचस्पी है। इसके लिए वे देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्राओं के दौरान वहां की क्षेत्रीय भाषाओं के अखबारों को खोजकर अपने संग्रह में शामिल करते हैं। इसके अलावा उन्हें वन्यजीवों से भी लगाव है। अखबारों के अलावा सिक्के और डाक टिकटों का भी संग्रह किया है। अपने इस लगाव के चलते में देश भर में होने वाली प्रदर्शनी व प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहते हैं। मकसद है कि मैं दुनिया भर में प्रकाशित होने वाले सभी अखबारों को संग्रहित करके एक म्यूजियम खोलें ताकि आने वाली पीढ़ी इन एतिहासिक पलों से रुबरु हो सके।

(साभार-अमिताभ अग्निहोत्री )

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