धान खरीद पर ताजा रचना : “दिलाएंगे ये दाम पूरा फसल का, ये पुलकित खरे वास्तव में खरे हैं”

धान खरीद पर  ताजा रचना
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है सीजन शुरू धान कटते हरे हैं।
नहीं रेट मिलता कृषक सब डरे हैं।।
धान बारह सौ में ही बेंचे परे हैं।
कहें सब कृषक मौत बिन ही मरे हैं।।
न घबराओ मित्रो मिले मूल्य पूरा,
बड़ा भाग्य डीएम जो पुलकित खरे हैं।


दिलाएंगे ये दाम पूरा फसल का,
ये पुलकित खरे वास्तव में खरे हैं।।
ये वैभव रखेंगे कृषक भाइयों का,
जो काफी समय से उपेक्षित परे हैं।
डरा गैंग है ठेकेदारों का सारा,
सभी सोचते आज नाहक मरे हैं।।
मरेंगे वो शातिर जो फर्जी ही करते,
बिना एक गाड़ी के टेंडर भरे हैं।
उठाते नहीं एक दाना कभी भी,
मगर बिल करोड़ों के प्रस्तुत करे हैं।।
वो वीएम जी, मंजीत, कहलो खड़े हो,
किसानों के मन में इरादे भरे हैं।
सेंटर पे जाना बताते यही हैं,
करो कॉल कंट्रोल में सब डरे हैं।।
कई नौकरी छोड़ने जा रहे तो,
कई ट्रांसफर की भी अर्जी भरे हैं।
सिस्टम बदलने की आहट बड़ी है,
राजनाथ सिंह फोन खुद ही करे हैं।।
बधाई सभी दे रहे हैं उन्हीं को
किसानों के हितकर जो पुलकित खरे हैं।
नहीं चूकना, चाहिए हक अगर है,
जमाने से जूझो न बिल्कुल डरे हैं।
इतिहास उनकी भी इतिश्री करेगा,
जो इस मुद्दे पर मौन धारण करे हैं।।
स्वीकार करिये बधाई हमारी,
जो अरमान कृषकों के दिल में भरे हैं।
कहते यही सच “सतीश” भी हमेशा,
है ईमान जिनमें वे सचमुच खरे हैं।।

रचनाकार-सतीश मिश्र “अचूक”
कवि/पत्रकार 9411978000

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