एमबीबीएस में सेलेक्ट होकर मिसाल बना सपहा का “विशाल”
–माता पिता ने स्कूल का दरवाजा नहीं देखा लेकिन बेटे को मन से पढ़ाया
-प्रधान बनने को पिता कर रहे थे प्रयास बोले बेटा सफल हुआ अब कभी नहीं लड़ेंगे चुनाव
पूरनपुर। शिक्षित लोगों को यह ज्ञान होता है कि अपने बच्चों को खूब पढ़ाया जाए और उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर या अधिकारी बनाया जाए परंतु जिसने कभी स्कूल का दरवाजा ना देखा हो उसके लिए यह सब सोचना भी कठिन हो जाता है परंतु ऐसे लोग भी हैं जो एक नई मिसाल कायम करते हुए अपने बेटे को डॉक्टर बनाने में सफल हुए हैं। खुद भले भी नहीं पढ़ पाए या कोई सफलता नहीं पा सके परंतु अपने बेटे को इतने मन से पढ़ाया की उसका चयन एमबीबीएस में हो गया। बेटे की सफलता पर पिता अपनी सारी ख्वाहिशें भी भूल गया और भविष्य में कभी चुनाव ना लड़ने की घोषणा भी कर दी।
जी हां ! हम बात कर रहे हैं सेहरामऊ उत्तरी थाना क्षेत्र के ग्राम सपहा निवासी उमेश मिश्रा की जो परिस्थितिवश कभी स्कूल नहीं जा पाए परंतु प्रत्येक प्रधानी चुनाव में ग्राम प्रधान बनने के लिए चुनाव मैदान में उतरते रहे। जनता ने उनका प्रधान बनने का सपना तो पूरा नहीं किया इधर वे अपने बेटे विशाल मिश्रा को अच्छी तालीम देते रहे और इसी का परिणाम है कि इस वर्ष उसका चयन एमबीबीएस में हो गया। उसे पढ़ाई के लिए गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कालेज मिला है जिसे काफी अच्छा माना जाता है।
बेटे की अपार सफलता से उमेशचंद्र ही नहीं उनका पूरा परिवार खुश है। बाबा रामऔतार मिश्रा भी काफी उत्साहित हैं और उन्हें पोते में ही भविष्य नजर आ रहा है। उमेश बताते हैं कि बेटा डॉक्टर बनेगा तो उन्हें सारी खुशियां मिल जाएंगी। उन्होंने साफ कहा कि अब वे किसी चुनाव में नहीं उतरेंगे क्योंकि ईश्वर ने जो सफलता उनके बेटे को दी है उससे वे पूरी तरह संतुष्ट हैं और अब कुछ नहीं चाहते। विशाल क्षेत्र में सफलता की एक मिसाल बन गया है। वह गांव का दूसरा लड़का है जो एमबीबीएस डॉक्टर बनने जा रहा है।
विशाल व उनके पिता को सम्मानित कर खिलाई मिठाई
विशाल व उनके पिता उमेशचंद्र को गांव स्थित मां गूंगा पेट्रोल पंप पर पत्रकार सतीश मिश्र पूर्व प्रधान विपिन मिश्रा आदि ने सम्मानित करते उसका हौसला बढ़ाया। अंग वस्त्र के साथ मिठाई भी खिलाई तथा उमेश चंद्र व विशाल के प्रयास भी सभी ने सराहे। यहां सुमित मिश्रा, रोहित मिश्रा, आशीष, देवेश, गंगाधर, परमजीत सहित कई लोग थे। गांव व क्षेत्र के लोग और मित्र, रिश्तेदार भी उनके घर बधाइयां देने पहुंच रहे हैं।
बाबा और पिता गांव में करते हैं खेती
विशाल के बाबा रामऔतार सपहा गांव में रहकर खेती किसानी करते रहे हैं। उनके दो बेटे रमेश व उमेश हैं। छोटे पुत्र उमेश के भी तीन बेटे हैं जिनमें विशाल अपने
3 भाइयों में बीच का है। बड़ा आशिष गांव में दुकान व खेती करता है और छोटा विदेश में पढ़ाई करने हेतु आइलेट में हाथ आजमा रहा है। बहन अंजली कजरी स्थित पंडित राजेन्द्र प्रसाद स्मारक कालेज आफ फार्मेसी से डी फार्मा कर रही है। उमेश चंद्र गांव में खेती करते हैं। उनकी धर्मपत्नी सुषमा देवी घरेलू महिला हैं और बहुत ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं। फिर भी पूरे परिवार ने विशाल की पढ़ाई में उसका
हौसला बढ़ाया और इसी के चलते उसे यह सफलता मिली है जिस पर सभी उत्साहित हैं। विशाल गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के बाद पूरनपुर के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट तक पढा और आगे की पढ़ाई लखनऊ में की।
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