भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर उन्हें काव्यात्मक नमन

आ.अटल जी की जयंती पर उन्हें काव्यात्मक नमन।
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राजनीति मतलबी हो गई सूना पड़ा पटल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
जो विपक्ष होता है उनके दिल में हरदम रहना।
जो भी आप बोलते थे सबका उसमें हां कहना।
राजनीति की सफल कहानी अब तो बीता कल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
जोड़ तोड़ हर मोड़ दीखता छल फरेब से नाता।
पल में एमपी और विधायक तोड़ फोड़ कर लाता।
छोड़ दिया सिंघासन बोले एमपी एक प्रबल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
महंगा जब पेट्रोल बैलगाड़ी से संसद आये।
लेकिन अब तो सुबह सुबह ही प्रति दिन रेट बढ़ाये।
आज तुम्हारे भारत में तो महंगा काफी जल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
सड़क जाल भारत में फैला नदियां भी लहराईं।
अंतिम ज़न को लाभ मिले यह देते रहे दुहाई।
घी अपनों को आज पिलाना ही सच्चा प्रतिफल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
जिस किसान के लिए आपने अपना सर्वस हारा।
फसल मूल्य, सब्सिडी दिलाकर बनते रहे सहारा।
आज सड़क पर डेरा डाले नहीं सुरक्षित कल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
सदा स्वदेशी ही भाया था भारत मां से नाता।
कूटनीति से आप बनाया भारत भाग्य विधाता।
अब हमले स्ट्राइक लेकिन सारी कोशिश डल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
कवि कुल के तुम रहे चितेरे गाई थी सच्चाई।
ध्येय रखा कैसे भी होवे भारत देश भलाई।
भूल गए हित आज देश का मितरों से सम्बल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
विप्र वंश के गौरव थे पर सबका साथ निभाया।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख ईसाई सबको गले लगाया।
अब ऐसे कानून जाति धर्मों से जिनमें छल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
थे सबको स्वीकार आपने गरिमा बृहद बनाई।
सरल सौम्य थे आज नहीं दिख पाई है परछाई।
अब प्रचंड है अहंकार जो उनका झूठा बल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
आज सुशासन दिवस मनाकर जो काफी इतराये हैं।
खूब समझ लो भ्रष्टाचारी दुःशासन हरषाए हैं।
डिजिटल भारत बना रहे पर भ्रष्टाचार डबल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
आज हवन कर अहंकार की आहुतियां दे डालो।
अटल मित्र है कृषक आप खुद उसको जाय सम्हालो।
अगर न माने खूब सोंच लो राजनीति चंचल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।
राजनीति मतलबी हो गई सूना पड़ा पटल है।
रहो खोजते गुम जाओगे मिलना कठिन अटल है।।

सतीश मिश्र “अचूक”
मो-9411978000

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