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खुशदिली और सादगी के लिए जाने जाते थे स्व बनवारी लाल, चुने गए थे महुआ के पहले प्रधान

पूर्व ग्राम प्रधान स्व बनवारी लाल की प्रथम पुण्यतिथि आज

– आजादी के बाद महुआ गांव में पहले ग्राम प्रधान बनने वाले सख्स थे

पीलीभीत- जिले के मरौरी ब्लॉक के छोटे से गांव महुआ गांव में सन 1973 में जन्मे पूर्व ग्राम प्रधान बनवारी लाल के निधन को एक वर्ष पूर्ण हो गए। आपको बताते चलें कि समाज में अपनी ईमानदारी और खुशमिजाजी से पहचान रखने वाले पूर्व प्रधान बनवारीलाल की सड़क हादसे में 25 दिसंबर 2019 मौत हो गई थी।
उनका राजनैतिक सफर सन 2005 से शुरू हुआ जब वह पहली बार पंचायत चुनाव के मैदान में उतरे और उन्होंने ग्राम प्रधान के उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी। लेकिन उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और उस चुनाव में हार गए। दोबारा सन 2010 के पंचायत चुनाव में फिर मैदान में उतरे और उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को भारी मतों से करारी हार दी और अपना पताका फहराया और लोगों की खूब वाहवाही मिली क्योंकि यह पहला मौका था कि गांव का कोई व्यक्ति आजादी के बाद ग्राम प्रधान बना।अजीतपुर पटपरा ग्राम पंचायत में चार गांव महुआ अजीतपुर रामनगरिया और पटपरा शामिल थे। बाद में प्रदेश सरकार का नया परिसीमन आया और ग्रामपंचायत के रूप में महुआ गांव का अलग गठन हुआ। बाद में उन्होंने चुनाव न लड़ने का मन बनाया और अपने समर्थित उम्मीदवार को मैदान में उतारा। लोगों का विश्वास नहीं जीत पाए और कुछ वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से सम्मान पा चुके थे पूर्व ग्राम प्रधान

तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के प्रमुख सचिव नेतराम का गांव का दौरा हुआ उन्होंने विकास कार्यों को देखते हुए पूर्व ग्राम प्रधान स्वर्गीय बनवारी लाल की तारीफ की और उन्हें सम्मानित भी किया।

जातिवाद को समाज का सबसे बड़ा कलंक मानते थे

पूर्व प्रधान जातिवाद को कतई नहीं मानते थे ।समाज को जातिवाद की बेड़ियों से मुक्त कराने का भरसक प्रयत्न करते रहते थे। वह लोगों से जातिवाद से ऊपर उठकर जीने की राह दिखाते थे।

उनके जीवन के यादगार पहलू लोग आज भी करते याद

स्व बनवारी लाल के जीवन के तमाम किस्से आज भी लोग याद करते। अपने चहेतों के दिलों पर वह आज भी राज कर रहे । उनके जीवन का सबसे यादगार किस्सा चार दशक पहले का है उन दिनों इंटरमीडिएट की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे सर्द रात में उनके घर पर एक दर्जन हथियारबंद डकैतों ने धावा बोल दिया और उन्होंने निडरता से उनका अकेले डटकर सामना किया और उनको घर में प्रवेश नहीं करने दिया। उनका यह बहादुरी का किस्सा आज भी गांव में लोग चौपाल लगाकर बच्चों को सुनाते हैं।

खुशमिजाजी अंदाज में जिए…

पूर्व ग्राम प्रधान बनवारी लाल अपनी ईमानदारी छवि के लिए समाज में जाने जाते थे। जिंदगी जीने का अंदाज उनका खुशमिजाजी था। उन्होंने अपने जीवन काल में तमाम परेशानियों का सामना किया ।जिंदगी के उतार-चढ़ाव में भी उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान बनी रहती थी। यही चेहरे की मुस्कान उन्हें समाज में एक अलग पहचान दिलाती थी।

बेटियों की शिक्षा को दी अहमियत

उनका मानना था की बेटियों की शिक्षा समाज को एक अलग पहचान देगा।वह कहते थे बेटियां दो परिवारों को रोशन करती हैं और उनका भविष्य चमकाती हैं। इसलिए उन्होंने अपनी चारों बेटियों को शिक्षा दिलाई। स्कूल कॉलेजों के अभाव में बड़ी बेटी को पांचवी तक की शिक्षा दिला पाए वही समाज की तमाम बंदिशों के बाद भी तीनों बेटियों को परास्नातक की शिक्षा ग्रहण कराई। रिपोर्ट-राकेश बाबू।

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