लियाकत उर्फ भूरे भाई : डॉक्टर नहीं लेकिन तीमारदारी गजब की
पूरनपुर। नगर निवासी पूर्व सभासद लियाकत उर्फ भूरे भाई पेशे से डॉक्टर नहीं हैं लेकिन उनकी तीमारदारी गजब की है। बीमार लोगों को लखनऊ दिल्ली ले जाकर इलाज कराना उनका शौक बन गया है। जी हां ! भूरे भाई को जैसे ही पता लगता है कि कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से ग्रसित है वे उसे लखनऊ और दिल्ली के अस्पतालों में ले जाकर भर्ती करा देते हैं। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी लियाकत उर्फ भूरे भाई ने अपने इस कार्य को बखूबी जारी रखा और दर्जनों पीड़ितों को विभिन्न साधनों से चोरी चुपके उपचार के लिए लखनऊ ले गए। लिंक पर क्लिक कर सुनिये भूरे भाई से बातचीत-
कई दशक से भूरे भाई इस कार्य में जुटे हुए हैं। अब तक न जाने कितने गंभीर रोगियों को वे जीवनदान दिलवा चुके हैं। वे यूं तो पूरनपुर खजुरिया बस स्टैंड के अध्यक्ष एवं पूरनपुर नगर पालिका परिषद में सभासद रह चुके हैं परंतु समाजसेवी के रूप में भी उनकी एक अलग पहचान बनी हुई है। किसी के भी सुख में भले शामिल ना हो पाएं दुख में शामिल होना उनकी आदत में शुमार है। वे रोगियों को उचित सलाह देकर ऐसे डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं जहां उन्हें अच्छा उपचार मिल सके और दाम भी कम से कम खर्च हो। आजकल के जमाने में जहां अपने परिवार के लोग ही बीमारी में साथ नहीं देे पाते हैं वही भूरे भाई गजब की तीमारदारी दिखाते हुए अपना फर्ज पूरा कर हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से उन्हें मानसिक संतुष्टि मिलती है। भूरेे भाई का कहना है कि जब तक जिंदगी रहेगी वे यह कार्य करते रहेंगे। स्थानीय लोग उनके इस कार्य की प्रशंसा भी करते हैं। जब ट्रेन चल रही थी तो वह लखनऊ व दिल्ली की एमएसटी बनवा लेते थे और जिन मरीजों को लेकर जाते थे उनसे यात्रा व खानपान का कोई खर्च नहीं नहीं लेते थे। हमेशा अपने खर्च पर ही मरीजों को बेहतर उपचार दिलाने का प्रयास करते रहे। बस यूनियन के अध्यक्ष के नाते निजी बसों पर अभी रोगियों को लेकर जाते हैं और कम से कम अपना किराया तो कम करवा ही लेते हैं। रोगी भी ठीक होने के बाद उन्हें दुआ देने से खुद को रोक नहीं पाते। लोग उन्हें डॉक्टर भी कहने लगे हैं परंतु भूरे भाई को डॉक्टर कहलाना पसंद नहीं है। वे खुद को एक तीमारदार के रूप में प्रस्तुत करते हैं।