जरूर सुनिये देव शर्मा ‘विचित्र’ की सुंदर रचना-“कुछ भी करलो यार अभी, अपनी है सरकार अभी”
एक गीत आपकी अदालत में प्रस्तुत है
कुछ भी करलो यार अभी
अपनी है सरकार अभी।
चोर विधायक बन बैठे,हिजड़े नायक बन बैठे
मंत्री जी बन गए दलाल,भड़वे गायक बन बैठे।
जनता की लाचारी है
ये भी दुनियांदारी है
कर लो बेड़ा पार अभी
अपनी है सरकार अभी।
बात कमीशन पर लटकी,चालू है पटका-पटकी
तबादलों की बाढ़ आई,अफसर लगा रहे डुबकी
आपस में है ख़ूब ठनी
कागज़ पर है सड़क बनी
चालू है व्यापार अभी
अपनी है सरकार अभी।
डनलप गद्दे ए सी घर,पेट बड़ा सा गंजा सर
कमसिन लड़की है दरकार मंत्री जी हैं दौरे पर
मुर्गा भी है मटन भी है
बिहस्की वीयर का मन भी है
पानी है बेकार अभी
अपनी है सरकार अभी।
जीने के ढंग बदल गए,चेहरे के रंग बदल गए
मंत्री जी के चालचलन कुर्सी के संग बदल गए
धोती कुर्ता लन्दन की
घर में चौखट चन्दन की
लगे हैं पहरेदार अभी
अपनी है सरकार अभी।
एसी बंगला एसी कार,बीबी को शॉपिंग से प्यार
बच्चे देहरादून पढ़े फॉरन में हैं खाते चार
चाल पुरानी बदल गयी
घर की हालत संवर गयी
दुनियां है बेकार अभी
अपनी है सरकार अभी।
चोर बजारी ख़ूब करो मारामारी ख़ूब करो
फ़िर चुनाव हैं आने को सब तैयारी ख़ूब करो
कम न पड़े गुण्डागर्दी
बड़ी रहे दहशतगर्दी
करो असलहे पार अभी
अपनी है सरकार अभी।।
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रचनाकार-
देव शर्मा विचित्र एडवोकेट पूरनपुर।
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