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रामलीला मेले के नाम पर शुरू हुई उगाही

पूरनपुर। रामलीला मेला आयोजन के लिए उगाही तेज हो गई है। कई जगह से चंदे के नाम पर मेला आयोजन के लिए सहयोग मांगा जा रहा है। मेला मैदान में रामलीला कमेटी की ओर से कोई दुकानें भी नहीं लगी है और न ही खेल तमाशा लग पाया है। सिर्फ लीला मंचन ही किया जा रहा है। जो पार्टी बुलाई गई है उसपर भी सवाल उठ रहे हैं।
पूरनपुर में मेला आयोजन की मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद मेला लगाने की अनुमति दी गई। यह मेला तहसील प्रशासन को भी लगाना था क्योंकि मेला कमेटी के रिसीवर तहसीलदार हैं। ऐसे में मेला आयोजन के लिए सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। मेला मैदान में मेला कमेटी की तरफ से दुकानें लगाने की अनुमति नहीं दी गई है और ना ही खेल तमाशे लगाए गए हैं। सिर्फ लीला मंचन के लिए एक लीला मंडली बुलाई गई है उस पर भी तमाम सवाल उठ रहे हैं। इस आयोजन के लिए भी उगाही की जा रही है। कई पेट्रोल पंपों से मुफ्त में डीजल लिया गया है। अन्य कई जगह से भी सहयोग मांगा जा रहा है। सरकारी आयोजन में इस तरह की उगाही पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। पूर्व में दुकानें व खेल तमाशे लगाकर ही मेला आयोजन के खर्च निकाले जाते थे। हालांकि इसमें कई बड़े घपले भी हुए हैं। रावण खड़ा करने के नाम पर भी कई बार मोटी रकम खर्चे में डाली गई है। माना जा रहा है कि इस बार भी डीजल व अन्य सहयोग मांग कर प्रशासनिक अधिकारी खर्चे के बिल लगाकर उनका भुगतान निकाल लेंगे। प्राइवेट फंड से सरकारी आयोजन पर तमाम सवाल उठ रहे हैं।

प्रचार प्रसार नहीं, गुपचुप हो रहा गोमती उत्सव

इधर शासन के आदेश पर जिलाधिकारी ने गोमती उद्गम स्थल पर आज से 3 नवंबर तक चलने वाला गोमती उत्सव आयोजित करने की घोषणा की है। जिसमें प्रतिदिन संध्या आरती के साथ गंगा आरती कराने व दिन में विभिन्न प्रतियोगिताएं, खेल तमाशे वह अन्य कार्यक्रम कराने को कहा गया है लेकिन इस मेले के आयोजन में औपचारिकता ही निभाने की बात सामने आई है। इसका स्थानीय स्तर पर बिल्कुल भी प्रचार-प्रसार स्थानीय स्तर पर नहीं कराया गया है। मेले के नोडल अधिकारी एक बार आकर वापस लौट गए हैं। पूरनपुर के बीडीओ भी सिर्फ औपचारिकता निभा रहे हैं। गोमती भक्तों में कोई प्रचार प्रसार इस उत्सव का नहीं कराया गया है। इस उत्सव का उद्घाटन कब और कौन करेगा यह अभी तय नहीं है। जिलाधिकारी के आज के कार्यक्रमों में जहां इस उत्सव के शुभारंभ का जिक्र नहीं है वही पूरनपुर के विधायक बाबूराम पासवान को भी इस मेले की जानकारी नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ औपचारिकता ही निभाई जा रही है। उधर इस मेले के नाम पर भी उगाही शुरू हो गई है। गांव के प्रधान पर टेंट व लाइट लगवाने का बोझ डाला गया है। कई अन्य जगह से भी इसी तरह का सहयोग मांगा जा रहा है। इधर कलीनगर के एसडीएम व तहसीलदार बदल जाने तथा काम कर रहे कई लेखपालों के तबादले के बाद और अव्यवस्थाएं पैदा हो गईं हैं तथा उत्सव के आयोजन को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं।

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