
कविता : “गजब है पूरनपुर का सार, भरे हैं खुशियों से बाजार”
गजब है पूरनपुर का सार।
भरे हैं खुशियों से बाजार।।
लगे हर चौराहे पर जाम।
सुबह दोपहर हो अथवा शाम।।
समोसे हनुमान के खाय।
पीयो सब गुड्डू जी की चाय।।
कचौडी सचिन की हैं मशहूर।
मिठाई प्रीत की पड़ती दूर।।
शहर यह शिक्षा से परिपूर्ण।
होए एम.ए.,बी.ए. भी पू्र्ण।।
बने हैं डिग्री कालेज चार।
इंटर कालेज की नही शुमार।।
शहर से बाहर लेकर आस।
गांव है पूरब दिश में पास।।
जहां के नत्थू, माखनलाल।
लगे यहां मेला भी हर साल।।
मुजफ्फरनगर है पावन गांव।
शहीदों नमन है नंगे पांव।।
गांव माधोटांडा मशहूर।
पास पूरनपुर से ना दूर।।
प्रगट भइ आदि गंग जिस ठांव।
धन्य है पृथ्वी पर वह गांव।।
यहां की वन संपदा अमूल।
लोग जाते थे अक्सर भूल।।
हुआ जब टाइगर रिजर्व आइ।
लोग अब पत्ता छुअत डराइ।।
धार “गोमती” की कर स्नान।
देख लो “चूका बीच” स्थान।।
यही है पूरनपुर की शान।
देख सब रह जाते हैरान।।
यहां पर प्रकृति का सुंदर रूप।
सुबह को जल पर हंसती धूप।।
नजर जब जल देखत थक जाए।
फेरी वाटर हट पर टिक जाए।।
डैम मिट्टी का है कुछ दूर।
एशिया भर मे जो मशहूर।।
दूर है क्षेत्र शारदा केर।
पडे यहां मुख्यालय का फेर।।
ध्वनि जब कल-कल जल की होइ।
वाशिंदे रैन ना पावइ सोइ।।
कोई सुख चैन ना पुछे आइ।
राति जब पेड़न पर कटि जाइ।।
नगर से 35 किमी दूर ।
गांव एक “माती” है मशहूर।।
यहां “मां गूंगा” का दरबार।
भक्तों की लगती जहां कतार।।
नही जाता है कोई निराश।
पूरी कर देतीं मैया आस।।
बुद्धि जग जननी करो प्रदान।
पंथ सब हो जाये आसान।।
रचनाकार-प्रदीप मिश्रा
चलभाष-9457532666, 9161354888