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“मां देवदूत अलबेली है, ममता की तू हमजोली है”
आज मेरी माता पूज्या प्रेमा देवी जी के स्वर्गवास को पूरा एक वर्ष हो गया। 7 जनवरी 2021 को उन्होंने ममता का आँचल समेटा था।
उन्हें व सभी माताओं को समर्पित है मेरा यह गीत, इसे कल ही लिखा है-
मां देवदूत अलबेली है
मां देवदूत अलबेली है।
ममता की तू हमजोली है।
मइया से सारे नाते हैं।
बाकी तो आते-जाते हैं।
मां लाख मुसीबत झेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
जब कष्ट अनेकों आते हैं।
सब माता-माता गाते हैं।
माता कष्टों से खेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
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लालच में रत सब नाते हैं।
मतलब पर सिर्फ दिखाते हैं।
माता प्रिय मित्र-सहेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
आशिष मां का मिल जाय अगर।
समझो जग में तू अजर अमर।
मां सुख-मिश्री की डेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
माता को अगर निकाला है।
समझो जग में मुंह काला है।
तैयार दुखों की रैली है।
मां देवदूत अलबेली है।
कुलटाओं की ना सुनना है।
माता संग सपने बुनना है।
तो ही खुशियों की डोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
रक्षाबंधन, करवा पूजन।
त्योहारों पर ना कन्फ्यूजन।
माता दीवाली-होली है।
मां देवदूत अलबेली है।
मां बचत हमें सिखलाती है।
सच्चा पथ भी दिखलाती है।
शिक्षा की शाला खोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
जब देकर जन्म रुलाया था।
सीने से आप लगाया था।
बच्चों हित छाती खोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
तुझसे हो पाए कौन जुदा।
क़रती रहतीं एहसान सदा।
मस्तक पर सुख की रोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
पुत्रों ने खूब रुलाया है।
माता ने गले लगाया है।
मां दया भाव की टोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
वेदों पुरान में मां लीला।
सागर जग तो माता टीला।
मां सुंदर सुखद पहेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
सुत कटखन्ना माता पन्ना।
गाती सरियाँ, मिढ़रा बन्ना।
संगीत-गीत की टोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
माता से भाई-बहना हैं।
माता सृष्टी का गहना है।
जग विस्तारक अलबेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
संतति की क़रती जब आशा।
पग-पग खतरा मन उल्लासा।
माता खतरों से खेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
मां की आरती इस लिंक पर क्लिक करके सुनिये-
पक्षी तो दाना लाती है।
बाघिन शावक संग जाती है।
मानव बच्चों संग खेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
यशुदा बन प्यार लुटाती है।
सिंहों के दांत गिनाती है।
टकसाल वीरता खोली है।
मां देवदूत अलबेली है।
सीमा पर सब सुत तेरे हैं।
लग रहे मृत्यु के फेरे हैं।
पय पान कराती डेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
ईशा, नानक या कृष्ण-राम।
अल्लाह-ईश्वर या परशुराम।
माता सबके संग खेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
आजाद, भगत, अब्दुल सुभाष।
बापू-पटेल, लाजपत खास।
भारत माँ रही सहेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
ममता मूरति पर जिद्दी है।
ले ठान सभी जग रद्दी है।
बालक त्रिदेव संग खेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
भगवान नहीं जब आ पाए।
मां को घर-घर में बैठाए।
मां परमपिता की चेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
यश मइया का अब गाना है।
यह ही ‘सतीश’ ने ठाना है।
समझो ना मातु अकेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
मां देवदूत अलबेली है।
ममता की तू हमजोली है।।
(शीघ्र आ रही मेरी पुस्तक “मां की महिमा” से)
रचनाकार-सतीश मिश्र “अचूक” 9411978000
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