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लौट आया वैट का भूत : जीएसटी में अपग्रेड हुए पेट्रोल पम्प स्वामियों को भेजे गए वैट के नोटिस, मचा हड़कंप

31 मार्च तक केस कराने की तारीख तय, मचा हड़कंप

-व्यापारियों का आरोप 10 से 15 हजार प्रति केस वसूलते हैं विभाग के अधिकारी

पीलीभीत। कभी वैट को हौआ कहा जाता था परंतु 4-5 साल पहले आई जीएसटी ने इसे भूत बना दिया था परंतु अब यह भूत फिर से साया बनकर व्यापारियों के पीछे पड़ गया है। इस समय इसके चपेट में जनपद के 100 से अधिक पेट्रोल पंप आ गए हैं। मोदी सरकार ने एक देश एक कर का नारा देते हुए 1 जुलाई 2017 से वैट समाप्त करके इसे जीएसटी में अपडेट कर दिया था परंतु अब जनपद के 100 से अधिक पेट्रोल पंप स्वामियों को दोबारा वाणिज्य कर विभाग ने वैट में केस कराने के लिए नोटिस जारी किए हैं और इसकी अंतिम तारीख 31 मार्च तय की गई है। इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि वह जीएसटी में प्रति माह ऑनलाइन नक्शे भरवा रहे हैं। ऐसे में उन्हें वैट में केस करवाने में दिक्कत होगी। आरोप यह भ है कि वैट में केस करवाने को लेकर विभागीय अधिकारी 10 हजार रुपया प्रति केस की उगाही करते हैं। शायद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए ही ऐसा किया जा रहा है।


योगी 2.0 सरकार ने शपथ ग्रहण करने के बाद भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात कही है परंतु प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग में भ्रष्टाचार फिर से फलने फूलने लगा है। 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी उगाही नहीं कर पा रहे थे। अब अधिकारियों ने एक नया फंडा निकालते हुए उगाही की जमीन तैयार की है। पीलीभीत में 100 से अधिक पेट्रोल पंप स्वामियों को वाणिज्य कर विभाग ने वैट के तहत केस कराने के लिए नोटिस जारी किए हैं।

व्यापारियों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर व ईमेल पर नोटिस भेजकर 31 मार्च 2022 से पहले यह केस कराने को कहा है। इससे व्यापारियों में हड़कंप मचा है। उनका कहना है कि जब वे प्रति माह जीएसटी में ऑनलाइन नक्शे दाखिल कर रहे हैं तो वेट में केस कराने की क्या जरूरत है। अधिकारियों का तर्क है कि डीजल पेट्रोल कर मुक्त है ऐसे में जीएसटी में उसका स्टॉक आदि अपडेट होने का सॉफ्टवेयर अभी तक विकसित नहीं हो पाया है। व्यापारियों का कहना है कि अधिकारी प्रति वर्ष के केस पर 10 से 15 हजार तक की वसूली करते हैं और न देने पर परेशान किया जाता है। काफी कम समय में नोटिस देने एवं मेल व मोबाइल नंबर पर मैसेज ना मिलने की शिकायतें भी कई लोग कर रहे हैं।

सरकार और जीएसटी परिषद में की गई है शिकायत

व्यापारियों के टिन नंबर को जीएसटी में अपडेट कर दिया गया है और 2017-18 में 1 अप्रैल से 30 जून तक के केस वैट में निपटाए गए हैं। वाद के केस वैट में ना होने से इसे जीएसटी में होना मान लिया गया है। अब गलत तरीके से वैट में केस कराने का व्यापारियों को नोटिस दिया जा रहा है जो कि गलत है। एक देश एक कर का नारा बेमानी साबित हो रहा है। हमारी प्रदेश यूनियन इसका विरोध कर रही है। जीएसटी में ज्ञापन दिया गया है। योगी सरकार व उनके मंत्रियों से मिलकर भी बात रखी जा रही है। यह पूरी तरह गलत है। व्यापारियों का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।
रामकृष्ण बाजपेई एडवोकेट,
अध्यक्ष, डिस्ट्रिक टैक्स बार एसोसिएशन पीलीभीत।

अफसर बोले-तीन चार दिन पहले ही आया आदेश

डीजल पेट्रोल कर मुक्त है और मोबिल आयल जीएसटी में आता है। कर मुक्त आइटम वैट से पहले ट्रेड टैक्स में थे। अभी जल्दी ही वाणिज्य कर में केस कराने का आदेश आया है। व्यापारियों को ईमेल व मेसेंज में नोटिस भेजे गए हैं। माल खरीदने की इनवॉइस व साल भर का खरीद बिक्री का विवरण प्रस्तुत करना होगा, तभी पेट्रोल पंपों को करमुक्त किया जा सकेगा। यह बात ठीक है कि वे जीएसटी में भी नक्शे दाखिल कर रहे हैं परंतु अभी सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हुआ है और यह राष्ट्रीय स्तर की समस्या है। स्थानीय स्तर पर इसमें कुछ नहीं किया जा सकता।
अच्छेलाल विश्वकर्मा, डिप्टी कमिश्मर एवं नोडल अधिकारी जीएसटी पीलीभीत।

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