♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

अपनों का मिला साथ तो एमडीआर को दी मात, टीबी चैंपियन नीमा की कहानी-उनकी ही जुबानी

पीलीभीत के नकटादाना की नीमा को हो गई मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी

पति और ससुराल वाले खड़े रहे साए की तरह

24 महीने के इलाज के बाद फिर से खुशगवार हुई उसकी जिंदगी

· अब खोलने जा रही है टीबी सहायता केन्द्र

पीलीभीत। इंसान किसी बीमारी या मुसीबत आने पर टूट जाता है लेकिन अगर घर-परिवार के लोग पीछे खड़े हों तो वह किसी को भी शिकस्त देकर फतह हासिल कर सकता है। फिर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी की क्यों न हो जाए।

जी हां, हम बात कर रहे हैं नकटादाना मोहल्ले की रहने वाली टीबी चैंपियन नीमा की। नीमा के पति पुलिस विभाग में हैं। उन्हें पता चला कि नीमा को एमडीआर टीबी है लेकिन उन्होंने उसकी उपेक्षा नहीं की ब्लकि उसका इलाज कराया। नीमा की सास ने मां की तरह उसकी देखभाल की। देवर-देवरानी ने भी भावनात्मक सहयोग दिया।

नीमा को वर्ष 2015 में तेज बुखार, खांसी और खून आ रहा था। लक्षणों के आधार पर प्राइवेट अस्पताल गई तो डॉक्टर ने टीबी के लक्षण बताए। नीमा बहुत डरी और घबराई हुई घर आई। परिवार वालों को और पति को बताया कि उसे टीबी के लक्षण हैं। नीमा के पति के दोस्त राजेश गंगवार घर के पास के टीबी सेंटर पर सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) थे। उन्होंने राजेश को समस्या बताई तो उन्होंने नीमा को टीबी सेंटर पर बुलाया और सेंपल लेकर लखनऊ भेजा। रिपोर्ट आई तो एमडीआर टीबी निकली।

नीमा के पिता पुलिस विभाग में लखनऊ में तैनात थे। उन्होंने लखनऊ के प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने की जिद की तो एसटीएस ने समझाया कि नीमा डॉट सेंटर से ही ठीक हो जाएगी। नीमा के पिता ने कहा कि आप गारंटी लेते हैं तो एसटीएस ने अपनी गारंटी पर नीमा का इलाज शुरू किया। धीरे-धीरे सेहत में सुधार शुरू हुआ और करीब 24 माह दवाएं खाने के बाद नीमा ने टीबी को शिकस्त दी और उसकी जिंदगी फिर से खुशहाल हो गई।

इसके बाद तो नीमा टीबी लक्षण वाले किसी मरीज को देखती तो उससे भावनात्मक तौर पर जुड़ जाती। विभाग ने उसे टीबी चैंपियन बनाया। नीमा को जब भी कोई टीबी का रोगी मिलता है तो उसको समझाती और उसका हौसला बढ़ाती है। छय रोग केंद्र जाने की सलाह देती है। नीमा टीबी सहायता केंद्र खोलने पर भी विचार कर रही है।

प्रभारी छह रोग अधिकारी डॉ पारुल मित्तल ने कहा कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है टीबी मरीज जैसे ही ठीक होते हैं उनको टीबी चैंपियन की पदवी दे दी जाती है और वह अपने क्षेत्र में टीबी मरीजों का पता लगाकर उनको छह रोग केंद्र भेजते हैं और उनका सहयोग करते हैं गोद लेने वाले व्यापारी अधिकारी नेता ब्लाक प्रमुख और अन्य ऐसे लोग हैं जो उनको पोषण किट वितरण कर उनका हौसला बढ़ाते हैं

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

क्या भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000