सम्पादकीय : एक जिला एक उत्पाद योजना करेगी चावल उद्योग व किसानों का उद्धार
ओडीओपी योजना से होगा किसानों व चावल उद्योग का उद्धार
-पीलीभीत में पथ भ्रमित हुई शासन की महत्वाकांक्षी स्कीम
-न बाँसुरी बनाने के लिए बांस और न लकड़ी उद्योग के लिए लकड़ी की उपलब्धता
-चावल उद्योग को योजना में शामिल करने से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, व्यापारियों को होगा लाभ
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पीलीभीत में एक जिला एक उत्पाद यानी ओडीओपी योजना विसंगतियों का शिकार होकर रह गई है। इस योजना में सबसे पहले बाँसुरी को चयनित किया गया परन्तु 4 वर्ष बाद भी जिले में उस बांस का उत्पादन शुरू नहीं हो पाया जिससे बाँसुरी बनती है। हालांकि विभागीय अधिकारियों द्वारा इस धंधे में लगे लगभग 250 कारीगरों को ऋण, अनुदान, प्रशिक्षण आदि सभी योजनाओं से संतृप्त करने की बात कही जा रही है।
इस योजना में जिले से जो दूसरा उत्पाद शामिल किया गया वह लकड़ी उद्योग है। लकड़ी का फर्नीचर, खिलौने, बर्तन आदि उत्पाद बनाने व बेचने वालों को अब एक जिला एक उत्पाद योजना का लाभ देने का काम प्रगति पर है। यहां भी शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना के साथ भद्दा मजाक किया गया है। जनपद में जंगल तो बहुतायत में हैं लेकिन इन्हें टाइगर रिजर्व में टाइगर प्रोजेक्ट के तहत संरक्षित किया गया है। यहां लकड़ी तो दूर की बात है पत्ता भी नहीं छू सकते। सभी प्रकाष्ठ डिपो पहले ही वन निगम द्वारा बन्द किये जा चुके हैं। यानी लकड़ी की उपलब्धता न्यूनतम है। ऐसे में लकड़ी उद्योग को एक जिला एक योजना में शामिल करना पूरी तरह से मजाक साबित हो रहा है। एक तरह से कहा जा सकता है कि इस उत्पाद को शामिल करके जनपद में अपरोक्ष रूप से लकड़ी चोरों को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है।
चावल को ओडीओपी में शामिल करने पर तीन लाख लोग होंगे लाभान्वित
पीलीभीत जिला कृषि बाहुल्य जनपद है। यहां आज भी 70 से 75 फ़ीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं। धान, गेहूं व गन्ना यहां की प्रमुख फसलें हैं। ऐसे में अगर चावल उद्योग को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल कर लिया जाता है तो जनपद के लगभग ढाई लाख धान उत्पादक किसानों, लगभग 200 से अधिक राइस मिलर, 1000 से अधिक चावल विक्रेता व्यापारी और हजारों की संख्या में पल्लेदार व मजदूर आदि इस धंधे से जुड़े लोग लाभान्वित होंगे। कुल मिलाकर करीब 3 लाख लोगों को इस योजना का सीधा फायदा जनपद में मिलने लगेगा। इसका एक दूसरा लाभ यह होगा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाना चाहती है। जब किसानों को ओडीओपी के तहत ऋण पर छूट मिलेगी, ऋण आसानी से उपलब्ध होगा, उत्पादन हेतु उन्नत खेती का प्रशिक्षण मिलेगा, टूलकिट व कृषि यंत्र मिलेंगे तो किसानों की उत्पादकता स्वत: बढ़ेगी और ऐसे में उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। यहां बता दें कि पीलीभीत जिले को पहले ही बासमती उत्पादन में भारत सरकार से जियो टैग मिला हुआ है और जिले को बासमती उत्पादन के लिए देश भर में जाना जाता है। परंतु सरकार द्वारा बढ़ावा ना दिए जाने के कारण बासमती उद्योग दबता जा रहा है। ऐसे में अगर चावल उद्योग को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल कर लिया जाता है तो यह जनपद के विकास के लिए एक अच्छी पहल होगी। जब किसान आत्मनिर्भर बनेगा, उसकी आमदनी बढ़ेगी तो इसका सीधा लाभ जिले के उधमियों व व्यापारी को भी होगा। यहां के अधिकारियों को भी लाभ होगा। जनपद के विकास को भी पंख लगेंगे। परंतु हैरत की बात यह है कि विसंगतियों वाले उत्पाद तो एक जिला एक उत्पाद योजना में आसानी से शामिल कर लिए गए परंतु चावल उद्योग को इसमें शामिल करने को लेकर तमाम बहानेबाजी की जा रही है। न जाने क्यों सरकारी अमला यहां के किसानों को, यहां के व्यापारियों को इस योजना का लाभ नहीं देना चाहता। जबकि पीलीभीत की बासमती देश के सुदूर हिस्सों के अलावा विदेशों तक जाती है और इसकी खुशबू दुनिया भर के लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही है। मेरा पीलीभीत के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, व्यापारियों, उद्यमियों, किसानों व किसान और व्यापारी हित के लिए काम करने वाले संगठनों के जिम्मेदार लोगों से अनुरोध है कि वे एकजुट होकर चावल उद्योग को ओडीओपी स्कीम में शामिल कराने के लिए अपना यथासम्भव योगदान दें। क्योंकि कर्तव्य पथ भले ही अलग हों पर सभी का उद्देश्य एक ही है जनपद का सर्वांगीण विकास। आइये इस मुहिम में हम सब मिल कर जुटते हैं।
आवेदन आने पर शासन को भेजेंगे प्रस्ताव : डीडी उद्योग
एक जिला एक उत्पाद योजना में कई जिलों में तो 5-5 उत्पाद शामिल हैं। अगर पीलीभीत के किसान, राइस मिलर, व्यापारी, जनप्रतिनिधि अथवा अन्य लोग चावल उद्योग को इस योजना में शामिल कराने का प्रस्ताव देते हैं तो उसे जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को प्रेषित किया जाएगा। पूरी उम्मीद है कि चावल उद्योग को इस योजना में शामिल कर लिया जाएगा। ऐसा होता है तो जिले के किसानों, राइस मिलरों व चावल विक्रेताओं को निश्चित रूप से ओडीओपी योजना का लाभ मिलने लगेगा।
इस लिंक से सुनें इंटरव्यू-
आत्मदेव शर्मा उपनिदेशक उद्योग जिला उद्योग केंद्र पीलीभीत।
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