
“शोहरत जहां की दौलतें दुनियां भी हुस्न भी, सब कुछ था उसके पास मगर आइना न था”
यूं तो जहां में लोग बहुत हैं लेकिन अपने मुट्ठी भर,,,,,,
सभी भाषाओं की उन्नति के लिए निरंतर काम करने वाली संस्था
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की जानिब से शेरी नशिस्त जोशो खरोश के साथ संपन्न हुई,,,
परिषद के जिलाध्यक्ष संजय पांडेय के निवास पर शेरी नशिस्त का इनाकाद किया गया,,, जिसमें शहर के नामचीन शायरों व कवियों ने अपने रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को आनंद से सराबोर कर दिया,,नशिस्त की सदारत श्री देशबंधु मिश्र तन्हा ने व निजामत श्री इरफान सागर ने की,,,,मुख्य अतिथि के रूप में श्री अविनाश चंद्र मिश्र एवम् वरिष्ठ भा ज पा नेता श्री अंशुमन तिवारी अंत तक रहे,,,,
सुनाया गया,,,
शराफत हुसैन शाद ने फरमाया,,,
मुहब्बत शाद है मिट्टी से अपने मुल्क की हमको।
बसाकर अपने दिल में हम ये हिंदुस्तान रखते हैं।।
अरुण भारद्वाज मस्त ने कहा,,,,
पत्रकारों ने कलम क्या रोशनाई बेंच दी।
मान्यताएं तोड़ दीं सब बेंच दीं खुद्दारियां ।।
अशरफ जमा काबिश ने सुनाया,,,,
समझता है जुबां रखता नहीं हूं।
अलग ये बात कुछ कहता नहीं हूं ।।
नवाब शैदा ने फरमाया,,,,
शोहरत जहां की दौलतें दुनियां भी हुस्न भी ।
सब कुछ था उसके पास मगर आइना न था ।।
शकील अंजुम ने सुनाया,,,,
अदब खुलूस और गहराइयों के साथ चले ।
हमारा जिक्र भी रुसवाइयों के साथ चले ।।
जियाउद्दीन ज़िया एडवोकेट ने फरमाया,,,,
जुदा औलाद से होने का मंजर ।
यह गम तो पूंछिए बस एक मां से ।।
नशिस्त के कन्वीनर उस्मान खां रजी ने कहा,,,
मिज़ाने दिल पे उसको कोई तोलता नहीं ।
जो आज भी इस दौर में सच बोल रहे हैं ।।
इरफान सागर ने फरमाया,,,,
गम को पहलू से निकाला जाएगा ।
हैरतों में मुझको डाला जाएगा ।।
अविनाश चंद्र मिश्र ने सुनाया,,,,
किसी के दिल से उतर गया हूं किसी के दिल में उतर गया ।
अभिनंदन में मिले दुशाले और गले में हार मिले हैं ।।
परिषद के महामंत्री उमेश अदभुत ने सबको हंसाया,,,
वगैरा दरअसल ढिमका फलाना बेंच डालूंगा ।।
मैं अपना छोड़कर सबका ठिकाना बेंच डालूंगा ।।
नवोदित कवि आशुतोष पांडेय ने कहा,,,
क्या हुआ कैसे हुआ ये पूंछना अच्छा नहीं ।
दिल पे तेरे ज़ख्म ये कैसे हुआ अच्छा नहीं ।।
बानिए नशिस्त संजय पांडेय गौहर ने अपने मन का दर्द बयां किया,,,,
यूं तो जहां में लोग बहुत हैं लेकिन अपने मुट्ठी भर ।।
फिर ये न जाने किसने दिए हैं मुझको सपने मुट्ठी भर ।।
अतिथि श्री अंशुमन तिवारी ने सभी को धन्यवाद करते हुए कहा,,,,
विद्वानों की महफिल में ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता,,मेरे शिक्षक ने पढ़ाया था के अच्छा बोलना है तो सुनो,,अच्छा लिखना है तो पढ़ो,,,,
और जल्द ही नेहरू पार्क में एक अलाव गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा,,,,
रतन नाथ मिश्र ने भी अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से मिलनसारी बढ़ती है,,,,
उपस्थित रहे,,,,
विवेक शर्मा,आलोक मिश्र, आर एम व्यास,सोनू अग्रवाल,
पुरुषोत्तम अग्रवाल,शलभ गंगवार,इमरान,जुवैद,सागर सहित और भी बहुत से साथी देर रात तक उपस्थित रहे ,,,
अंत में वासुदेव पांडेय एवम् आयुष पांडेय ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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