
गोमती उद्गम तीर्थ स्थल पर रोपा गया देव लोक का कल्पवृक्ष
समुंद्र मंथन के समय 14 रत्नों में उत्पन्न हुआ था कल्पवृक्ष
कुंवर निर्भय सिंह व्यक्ति जिस वृक्ष के नीचे बैठकर जिस चीज की याचना सच्चे हृदय से वृक्ष से करें और वह उसे प्राप्त हो जाए तो उसे अचंभा ही कहा जायेगा। ऐसा ही एक वृक्ष गोमती तीर्थ स्थल पर पर जिला अधिकारी पीलीभीत के द्वारा रोपा गया जो लोगों की मनोकामना पूर्ण कर सकता है
अवध की शान लखनऊ की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली गोमती नदी के उद्गम तीर्थस्थल माधो टांडा पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लगातार सौंदर्य करण कराया जा रहा है जिससे गोमती उद्गम स्थल की सुंदरता प्रतिदिन बढ़ रही है और सैलानियों की आमद भी तेजी के साथ बढ़ रही है दिन प्रतिदिन तीर्थ स्थल पर विकास की कोई ना कोई नई श्रृंखला स्थापित हो रही है इसी क्रम में
मंगलवार को पीलीभीत के जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने गोमती तीर्थ स्थल के माता गोमती के मंदिर के निकट राधा श्याम मधुबन में देव लोक के कल्पवृक्ष का रोपण किया इस अवसर पर एडिशनल एसपी रोहित मिश्रा और एडीएम अतुल सिंह ने चंदन के पौधे का रोपण किया इस अवसर पर सीडीओ रमेश पांडे, पुलिस क्षेत्राधिकारी पूरनपुर कमल सिंह, कलीनगर एसडीएम हरिओम शर्मा, थाना माधोटांडा प्रभारी के के तिवारी पूर्व प्रधान धनीराम कश्यप , राममूर्ति सिंह, निर्भय सिंह, पराग सिंह, सतीश कश्यप, रविंद्र सिंह, कामेश्वर सिंह माता गोमती मंदिर के पुजारी विजेंद्र सहित कई लोग मौजूद रहे
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पौराणिक ग्रंथों में मिलता है कल्पवृक्ष का उल्लेख
देव लोक का यह कल्पवृक्ष पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सतयुग में देवताओं और असुरों द्वारा समुंद्र मंथन के समय 14 रत्नों में निकला था इस कल्पवृक्ष को देवलोक के स्वामी देवराज इंद्र को दे दिया गया था देवराज इंद्र ने कल्पवृक्ष को सुरकानन वन में स्थापित कर दिया था इस कल्पवृक्ष को पद्म पुराण के अनुसार पारिजात भी कहा गया सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जो भी व्यक्ति याचना करके जो कुछ भी मांगता है वह उसे अवश्य मिल जाता है भारतवर्ष में यह दुर्लभ प्रजाति के कल्पवृक्ष बहुत कम संख्या में पाए जाते है
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कल्पवृक्ष में नारियल की तरह आता है फल और रात में खिलता है फूल
बरगद के वृक्ष जैसे दिखाई देने वाले कल्पवृक्ष बरगद की तरह जल ग्रहण करता हुआ विशाल आकार ग्रहण कर लेता है इसमें नारियल की तरह फल लगते हैं और रात में ही इसके फूल खिलते हैं
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विशाल आकार को कर लेता है ग्रहण
पौराणिक कल्पवृक्ष यदि सही तरीके से फल फूल जाए तो यह बरगद की भांति विशाल आकार को ग्रहण कर लेता है इसकी लंबाई लगभग 70 फुट तक ऊंची हो जाती है और उसके तने का व्यास 35 फुट हो जाता है कल्पवृक्ष की आयु 3000 वर्ष से लेकर 5000 वर्ष तक होती है ऐसा वनस्पति वैज्ञानिकों का मानना है
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औषधीय वृक्ष भी है कल्पतरू
कल्पवृक्ष पूर्ण रूप से औषधीय गुणों से परिपूर्ण है इस वृक्ष की पत्तियों से लेकर इसकी छाल तना आदि बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए ही इसको पूजा जाता है कल्पवृक्ष में संतरे से 6 गुना विटामिन सी होता है गाय के दूध से दोगुना कैल्शियम होता है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कल्पवृक्ष में 6 अमीनो एसिड होते हैं
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उद्गम तीर्थ स्थल पर पहले भी लगाया गया कल्पवृक्ष
गोमती तीर्थ स्थल पर 5 फरवरी 2019 को तत्कालीन जिला अधिकारी डॉ अखिलेश कुमार मिश्रा ने गोमती तीर्थ स्थल की पंचवटी की भूमि पर कल्पवृक्ष को मोनी अमावस्या की बेला पर रोपण किया था इस कल्पवृक्ष को
कलकत्ता से मंगाकर
फर्रुखाबाद के मनोज ने तत्कालीन एसडीएम कलीनगर चंद्रभानु सिंह को उपहार स्वरूप दिया था