होली गीत : आओ मन का द्वैष भुलायें होली में, गन्ध पवन से हम घुल जायें होली में

                  होली गीत

आओ मन का द्वैष भुलायें होली में ।
गन्ध पवन से हम घुल जायें होली में ।।

रंगों में सब डूब एक हो जाते हैं,
हर अन्तर के भेद यहाँ खो जाते हैं।
नहीं कोई धनबान न कोई छोटा है,
न ही कोई श्रेष्ठ न कोई खोटा है।।

सबको यह संदेश दे जायें होली में
गन्ध पवन———- ———–

रिश्तों की मर्यादा इसमें खुल जाती,
मन में एक मिश्री सी इसमें घुल जाती।
जो रुठे हैं उनको तुम अपना कर लो,
नहीं प्रतीक्षा करो बाजुओं में भर लो।।

सारा ही बैमनस्य जलायें होली में
गन्ध पवन———————–

गांठ नहीं जो तुमने अब भी खोली है,
तो बतलाओ कैसी आपकी होली है।
भूल चलो कटुता की सारी चालों को,
भर लो तुम गुलाल से गोरे गालों को।।

मन में उतरें रंग लगाये होली में,
गन्ध पवन——— ———

रचनाकार-

अबिनाश चन्द्र मिश्र “चन्द्र”
एडवोकेट पीलीभीत

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