फिल्मी गीत “मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी” का संस्कृत में किया अनुवाद

आज एक फिल्मी हिन्दी गंगा-गीत का संस्कृत भावानुवाद
फिल्म-गंगा की सौगन्ध

(मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी।
मानो तो मैं—–
जो स्वर्ग ने दी धरती को,मैं हूँ प्यार की वही निशानी।
मानो तो मैं—–)

मानय तु मातुगंगाहम् अन्यधा जलं प्रवहन्तम्।
मानय तु—–
स्वर्गेन भुवे यद्दत्तं चिह्नं तदेव प्रणयस्य।
मानय तु——-

(युग-युग से मैं बहती आयी इस नील गगन के नीचे।
सदियों से मेरी धारा यह प्यार की धरती सींचे।
मेरी लहर लहर पे लिखी है इस देश की अमर कहानी।
मानो तो मैं—–)

अस्मिन्नीलाम्बरतले सतत युगयुगादस्मि प्रवहन्ती।
धारेयमं मम शतवर्षेभ्यः सिंचति एव प्रीतिभुविं च।
मम तरंगेषु लिखिता खलु राष्ट्रस्य अस्य गाथामर।
मानय तु——-

हरिओम् ्——–हरिओम—–

(कोई वजू करे मेरे जल से कोई सूरज को नहलाये।
कहीं धोबी कपड़े धोये,कोई पंडित प्यास बुझाये।
ये जाति धरम के झगड़े इंसान की है नादानी।
मानो तो मैं—–)

अभिषेकाचमने अर्घ्ये मम जलं सदैव प्रयुक्तम्।
क्षालयति क्वचित् वस्त्रं रजकः विप्रो तृप्तिं अधिगच्छति।कलहानि जातिधर्मस्य मिथ्याबोधं मनुजानाम्।
मानय तु——-

हर हर गंगे—-हर हर गंगे—-

(गौतम अशोक अकबर ने यहाँ प्यार के फूल खिलाये।
तुलसी गालिब मीरा ने यहाँ ज्ञान के दीप जलाये।
मेरे तट पे आज भी गूँजे नानक कबीरयोः वाणी।
मानो तो मैं—–)

अत्रैव प्रीतिपुष्पाणि राजन्याः विकसितवन्ताः।
दीपार्चितानि ज्ञानस्य मीरातुलसी च प्रभृतिभिः।
अद्यापि तटे मम गुंजति नानककबीरयोः वाणी।
मानय तु——-

-आचार्य देवेन्द्र देव, बरेली।

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