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पहले ग्रामीणों और फिर पुलिस प्रशासन ने उड़ाई कानून की धज्जियां, किवाड़ तोड़ तोड़ कर ग्रामीणों को पकड़ा, फैलाई दहशत, ग्रामीण कर गए पलायन, पसरा मातमी सन्नाटा, विधायक को महिलाओं ने रो रोकर सुनाया दुखडा

पूरनपुर। कल्पना कीजिए कि आप आधी रात को बीवी बच्चों के साथ घर में सोए हो और कोई डंडा मार मार कर दरवाजा खटखटाये और आप अगर समय से नहीं उठ पाए तो आपका दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर घुस आये तो आप कैसा महसूस करेंगे। जी हां सेहरामऊ थाना क्षेत्र के ग्राम सोंधा में आधी रात को यही सब हुआ। जिसकी कल्पना करके ग्रामीण अभी भी सहम जाते हैं। खौफ इतना है कि गांव के लोग घर छोड़कर पलायन कर गए हैं। आज विधायक बाबूराम गांव  पहुचे तो महिलाओं ने उन्हें रो रोकर दुखड़ा सुनाया।
बीती रात बदमाशो की आहट पर बुलाई डायल 100 पुलिस के गन्ने के खेत में न घुसने पर गांव के लोगों ने आक्रोश जताया था। आरोप है कि इस पर पुलिस ने हवाई फायरिंग करके दहशत फैलाने का प्रयास किया। इस पर ग्रामीण भी आक्रामक हो गए और पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट व हाथापाई शुरू हो गई। पुलिस की गाड़ी भी तोड़ी गई। यह सब ग्रामीणों को नहीं करना चाहिए था। कानून हाथ में ना लेकर पुलिस कर्मियों की शिकायत थानाध्यक्ष, सीओ अथवा एसपी से कर सकते थे परंतु उसके बाद भी जो कुछ पुलिस प्रशासन ने किया उसे भी किसी हद तक ठीक नहीं कहा जा सकता। आधी रात को ही डीएम व एसपी की अगुवाई में सभी थानों की पुलिस व पीएसी पहुंच गई और उत्पात मचाना शुरू कर दिया। पुलिस के डर से लोग घरों से भागे तो उनके दरवाजे खटखटा कर ना खोलने पर तोड़ दिए गए और लोगों को घरो में घुसकर पकड़ लिया गया। और तो और गांव के प्रधान अनूप कुमार सिंह के साथ भी यही सब हुआ। प्रधान के अलावा उनके दो तीन भाई बूढ़े पिता को भी पुलिस ने नहीं छोड़ा और साथ ले गई। बच्चे इस कदर डर गए थे और चीखने चिल्लाने लगे की उनका डर अभी तक नही छूटा है। महिलाएं भी काफी सहम गई लेकिन पुलिस वालों ने बर्बरता कायम रखी। यह सब उन जिम्मेदार अधिकारियों की आंखों के सामने हुआ जिन पर कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी थी। अधिकारियों ने गांव वालों की एक नहीं सुनी और एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए लोगों को जो जहां मिला पीटा, लठियाया। यह सब आतंक सुबह तक कई घंटे चलता रहा। पकड़े गए ग्रामीणों को थाने ले जाया गया और उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करके 70 अज्ञात लोगों को भी नामजद कर दिया गया। इससे डरकर गांव के सभी पुरुष गांव छोड़कर चले गए है।

किसानों के जरूरी काम भी बंद

किसी के खेतों में पानी लग रहा था तो कोई घास की निराई करा रहा था। किसी के घर पर निर्माण कार्य चल रहा था परंतु सारे काम धंधे छोड़कर गांव के लोग फरार हो गए हैं। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है लेकिन ग्रामीणों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। भाजपा नेता संतराम विश्वकर्मा व जिला पंचायत सदस्य पति सोनपाल गौतम ने ठाकुर जितेंद सिंह व पूर्व प्रधान रामनाथ मिश्र के साथ गांव का दौरा किया और महिलाओं से पूरे प्रकरण की जानकारी ली। महिलाओं ने जो पुलिस की ज्यादती की कहानियां बताई उसे सुनकर भाजपा नेता द्रवित हो गए और पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। विधायक बाबूराम पासवान को भी महिलाओं ने दर्द बताया।

पुलिस पर भी लिखा जाए मुकदमा

जनता का कहना है कि जब पुलिस ने अपनी तरफ से मुकदमा लिख लिया तो घरों में तोड़फोड़ करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए तभी सच्चा न्याय गांव के लोगों को मिल पाएगा। प्रधानसंघ जिलाध्यक्ष आशुतोष दीक्षित, वीरेंद्र सिंह ध्रुव, उरवेंद्र सिंह चन्नी, बिट्टू, यादवेंद्र शाह,  इस पूरे मामले की सीबीसीआईडी जांच कराने की मांग की है। कहा प्रधान का उत्पीड़न नही रुका तो आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

भाजपा विधायक की शरण मे पहुची जनता, सीएम तक पहुचा मामला

गांव से भागकर ग्रामीण सीधे भाजपा विधायक बाबूराम पासवान के पूरनपुर स्थित आवास पर पहुंचे और विधायक को पुलिस व प्रशासन की ज्यादती बताते हुए निष्पक्ष जांच कराकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विधायक ने इस मामले में जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव से बात की तो आरोप है कि जिलाधिकारी ने सिर्फ ग्रामीणों का दोष होना बताया और पुलिस का पक्ष लेते हुए रात की करवाई को जायज ठहराते नजर आए। इस पर विधायक ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए पुलिस प्रशासन को बेलगाम होना बताया है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के ओएसडी को अवगत कराया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई को कहा। विधायक ने बताया कि ग्रामीणों को पुलिस परेशान ना करें इसका आदेश शासन से कराएंगे। उन्होंने गाँव पहुचकर जनता का दर्द जाना। 

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