दिव्यांगजनों के लिए मुफीद साबित हो रहीं प्रदेश सरकार की योजनाएं

पीलीभीत। समाज के असहाय, सुविधाहीन एवं कमजोर वित्तीय स्थिति वाले दिव्यांगजनों के सर्वांगीण विकास एवं उनके लाभ तथा सहायता के लिए प्रदेश सरकार कई योजनाओं/कार्यक्रमों का संचालन करते हुए उन्हें लाभान्वित कर रही है। प्रदेश में दृष्टि निःशक्तता, वाक् निःशक्तता, श्रवण निःशक्तता अस्थित निःशक्तता, मानसिक मंदित, मानसिक रूग्ण, बहु निःशक्तता एवं अन्य निःशक्तता से ग्रसित दिव्यांगजन 2011 की जनगणना के आधार पर प्रदेश की कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत से अधिक है। दिव्यांगजनों को प्रदेश सरकार शिक्षित करने हेतु विद्यालय, छात्रावास, ब्रेल लिपि की स्थापना एवं संचालन, आश्रयगृह-सह- प्रशिक्षण केन्द्र, कौशल विकास केन्द्र, अनुदान पेंशन, कृत्रिम अंग, सहायक उपकरण, सहित रोजगार हेतु विशेष सहायता कर रही है।
प्रदेश सरकार के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों के हितार्थ अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। सरकार द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के भरण-पोषण हेतु अनुदान/पेंशन दी जाती है। इसमें ऐसे दिव्यांग जिनके जीवनयापन के लिए न तो कोई साधन है और न ही वे कोई परिश्रम कर सकते हैं। गरीबी रेखा के नीचे वाले ऐसे दिव्यांगों को 500 रु0 प्रतिमाह की दर से पेंशन दी जाती है। प्रदेश में गत वर्ष 984709 तथा इस वर्ष 1035033 दिव्यांगों को 621.02 करोड़ रु0 की पेंशन दी जा रही है। कुष्ठ रोग के कारण दिव्यांग हुए दिव्यांगजनों को 2500 रु0 प्रतिमाह की दर से अनुदान/ पेंशन दी जाती है। प्रदेश में कुष्ठ रोग से दिव्यांग वर्ष 2018-19 में 8407 एवं 2019-20 में 10 हजार दिव्यांगों को लाभान्वित किया जा रहा है। प्रदेश में 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले गरीबी रेखा के नीचे के दिव्यांगजनों को 8000 रु0 तक के कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण हेतु धनराशि प्रदान की जाती है। प्रदेश में वर्ष 2018-19 में 63744 दिव्यांगजनों तथा वर्ष 2019-20 में 62300 से अधिक दिव्यांगजनों को लाभान्वित किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार दिव्यांगजन को विवाह करने पर पात्र दम्पत्ति में युवक के दिव्यांग होने की दशा में 15000 रु0, युवती के दिव्यांग होने की दशा में 20000 रु0 तथा दोनों के दिव्यांग होने पर 35000 रु0 प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान करती है। प्रदेश में वर्ष 2018-19 में 1121 दिव्यांग लाभान्वित तथा वर्ष 2019-20 में 1131 दिव्यांगजनों को लाभान्वित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों के पुनर्वासन हेतु दुकान निर्माण के लिए 20000 एवं दुकान संचालन हेतु 10000 रु0 देने की व्यवस्था की है। इस योजना में गत वर्ष 1052 लाभान्वित तथा इस वर्ष 1060 दिव्यांगजन लाभान्वित हो रहे हैं। प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में दिव्यांगों के अंतिम गंतव्य स्थल तक निःशुल्क यात्रा सुविधा भी प्रदान करती है।
प्रदेश में 18 बचपन-डे-केयर सेंटर संचालित हैं, जिसमें 3 से 7 वर्ष आयु वर्ग के दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित, मानसिक मंदित बालक-बालिकाओं को प्री-स्तर की शिक्षा दी जा रही है। सरकार की स्पर्श योजनान्तर्गत बालक-बालिका के लिए दृष्टिबाधित विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है जिसमें ब्रेल पद्धति के माध्यम से निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। संकेत कार्यक्रम के अन्तर्गत राजकीय मूकबधिर विद्यालयों में सांकेतिक भाषा में श्रवणबाधित दिव्यांग छात्रों को शिक्षा दी जाती है। मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त बालक-बालिकाओं को राजकीय विद्यालय लखनऊ तथा प्रयागराज में ममता कार्यक्रम के अन्तर्गत मनोवैज्ञानिक पद्धति से निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। शारीरिक रूप से अक्षम बालकों के लिए लखनऊ तथा प्रतापगढ़ के विद्यालय में प्रयास कार्यक्रम के अन्तर्गत निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं हेतु छात्रावासों की व्यवस्था की गई है।
प्रदेश में विभिन्न प्रकार के दिव्यांगों को उनकी रूचि के अनुसार प्रदेश सरकार कौशल विकास मिशन के अन्तर्गत प्रशिक्षण दिलाती है। साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए विभिन्न प्रकार का सहयोग भी दे रही है। विभिन्न श्रेणी के दिव्यांग विद्यार्थियों को बाधारहित वातावरण में समेकित शिक्षा के अन्तर्गत गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान किये जाने के उद्देश्य से डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ में स्थापित है।

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